Top 4 Doha’s of Lord Hanuman in Hindi!
Hindi Doha # 1. श्री हनुमान चालीसा:
।। दोहा ।।
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि ।
बरनऊं रधुबर बिमल जस, जो दायकु फल चारि ।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार ।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार ।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ।।
रामदूत अतुलित बल धामा । अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ।।
महावीर विक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ।।
कंचन बरन विराज सुवेसा । कानन कुण्डल कुंचित केसा ।।
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हाथ वज्र और ध्वजा विराजै । कांधे मूंज जनेऊ साजै ।।
शंकर सुवन केसरी नन्दन । तेज प्रताप महा जगवन्दन ।।
विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । विकट रूप धरि लक जरावा ।।
भीम रूप धरि असुर संहारे । रामचन्द्र जी के काज संवारे ।।
लाय संजीवन लखन जियाए । श्री रघुबीर हरषि उर लाए ।।
रधुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।।
सहस बदन तुम्हरो यश गावै । अस कहि श्रीपति कंठ लगावै ।।
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सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ।।
यम कुबेर दिगपाल जहां ते । कवि कुबेर कहि सके कहां ते ।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा । राम मिलाय राजपद दीन्हा ।।
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना । लंकेश्वर भए सब जग जाना ।।
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हा सहस्त्र योजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लौघि गए अचरज नाहीं ।।
दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।।
राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।
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सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डरना ।।
आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हांक ते कांपै ।।
भूत पिशाच निकट नहि आवै । महावीर जब नाम सुनावै ।।
नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।
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संकट ते हनुमान छुड़ावै । मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ।।
सब पर राम तपस्वी राजा । तिनके काज सकल तुम साजा ।।
और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै । ।
चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ।।
साधु सन्त के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे ।।
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता । अस वर दीन जानकी माता ।।
राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ।।
तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ।।
अन्त काल रधुबर पुर जाई । जहां जन्म हरि भक्त कहाई ।।
और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेई सर्व सुख करई ।।
संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।
जय जय जय हनुमान गुसाँई । कृपा करहु गुरुदेव की नाई ।।
जो शत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महासुख होई ।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा ।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ।।
।। दोहा ।।
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।
Hindi Doha # 2. संकटमोचन हनुमानाष्टक |:
बाल समय रवि भक्षि लियो तब, तीनर्हु लोक भयो अंधियारो ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सो जात न टारो ।
देवन आनि करी विनती तब, छांड़ि दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।। १ ।।
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिये कौन विचार विचारो ।
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो ।।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।। २ ।।
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौं हम सों जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो ।
हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाय सिया सुधि प्रान उबारो ।।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।। ३ ।।
रावण त्रास दई सिय को तब, राक्षसि सों कहि सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो ।
चाहत सिय अशोक सो आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो ।।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।। ४ ।।
बाण लग्यो उर लछिमन के तब, प्रान तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह वैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु-बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो ।।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।। ५ ।।
रावन युद्ध अजान कियो तब, नाग की फांस सबै सिर डारो ।
श्री रधुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो ।
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बन्धन काटि सुत्रास निवारो ।।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।। ६ ।।
बंधु समेत जबै अहिरावण, लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देवहिं पूजि भली विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो ।
जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावण सैन्य समेत संहारो ।।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।। ७ ।।
काज किए बड़े देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसों नहिं जात है टारो ।
बेगि हरौ हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो ।।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ।। ८ ।।
।। दोहा ।।
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर ।
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ।।
Hindi Doha # 3. श्री बजरंग बाण |:
।। दोहा ।।
निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करै सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान ।।
जय हनुमन्त सन्त हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।
जन के काज विलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ।।
जैसे कूदि सिन्धु महि पारा । सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।।
आगे जाय लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुर लोका ।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखि परम पद लीन्हा ।।
बाग उजारि स्विधू महं बोरा । अति आतुर जम कातर तोरा ।।
अक्षय कुमार को मारि संहारा । लूम लपेट लक को जारा ।।
लाह समान लक जरि गई । जय जय धुनि सुरपुर में भई ।।
अब विलम्ब केहि कारन स्वामी । कृपा करहु उर अन्तर्यामी ।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता । आतुर होय दुःख करहु निपाता ।।
जै गिरिधर जै जै सुख सागर । सुर समूह समरथ भटनागर ।।
ॐ हनु हनु हनुमन्त हठीले । बैरिहि मारु बज की कीले ।।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो । महाराज प्रभु दास उबारो ।।
ऊंकार हुंकार महाप्रभु धावो । बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।।
ॐ हीं हीं हीं हनुमन्त कपीसा । ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।।
सत्य होहु हरि शपथ पायके । राम दूत धरु मारु जायके ।।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा । दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।
पूजा जप तप नेम अचारा । नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।।
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं । तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।
पांय परौं कर जोरि मनावों । येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
जय अंजनि कुमार बलवन्ता । शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ।।
बदन कराल काल कुल घालक । राम सहाय सदा प्रति पालक ।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर । अग्नि बेताल काल मारी मर ।।
इन्हें मारू तोहि शपथ राम की । राखठ नाथ मरजाद नाम की ।।
जनक सुता हरि दास कहावो । ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।
जै जै जै धुनि होत अकासा । सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ।।
चरण पकरि कर जोरि मनावौं । यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
उठु उठु चलु तोहि राम दोहाई । पांय परी कर जोरि मनाई ।।
ॐ चं चं चं चपल चलंता । ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ।।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल । ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ।।
अपने जन को तुरत उबारो । सुमिरत होय आनंद हमारो ।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै । ताहि कहो फिर कौन उबार ।।
पाठ करै बजरंग बाण की । हनुमत रक्षा करै प्राण की ।।
यह बजरंग बाण जो जापै । ताते भूत प्रेत सब कांपै ।।
धूप देय अरु जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहै कलेशा ।।
।। दोहा ।।
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरी उर ध्यान ।
तोहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान ।।
Hindi Doha # 4. श्री राम स्तुति |:
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुण ।
नवकंज-लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुण ।।
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कन्दर्प अगणित अमित छवि नवनील-नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावर ।।
भजु दीनकधु दिनेश दानव दैत्यवंश-निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कैद कौशलचन्दू दशरथ नन्दने ।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारु अग विभूषर्ण ।
आजानु- भुज-शर-चाप-धर, संग्राम जित-खरदूषण ।।
इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजन ।
मम हृदय कंज निवास कुरु कामादि खलटल-गजनं ।।
मनु जाहिं राचेउ मिलहि सो ठाक महज सदर सांवरो ।
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करुणा निधान सुजान सील सनेह जानत रावरो ।।
एहि भांति गौरि असीस सुनि सिय सहिन हियं हरषी अली ।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि-पुनि मुदिन मन मंदिर चली ।।
।। दोहा ।।
जानि गौरि अनुकूल सिय हियं हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल बाम अग फरकन लगे ।।