नदी की बाढ़ पर अनुच्छेद | Paragraph on A River in Flood in Hindi
प्रस्तावना:
बरसात के दिनो में उत्तर प्रदेश की नदियों में लगभग हर वर्ष बाढ़ आ जाती है और नदियाँ किनारे तोड़ बह निकलती है । नदी के आसपास बसे गांवों को बड़ा नुकसान होता है । इन नदियों पर बनी नहर परियोजनाओं और बांधों ने उत्तर प्रदेश में अक्सर आने वाली बाढों में कुछ कमी की है ।
गोमती नदी में बाढ़:
इस वर्ष वर्षा के दौरान गोमती नदी में भीषण बाढ़ आ गई थी । इस वर्ष लखनऊ और इसके आसपास के इलाकों में भारी वर्षा हुई थी । सभी अखबारों, रेडियो और टेलीविजन पर लोगों को बा की संभावना के सबंध में बार-बार चेतावनी दी जा रही थी । लेकिन लोगों ने इन चेतावनियों पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया, क्योंकि उन्होंने इन्हें भी मौसम की सामान्य भविष्यवाणियो की तरह लिया, जो अक्सर सही नहीं निकलती थीं ।
बाढ़ का वर्णन:
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रात को जब हम सोये पड़े थे, गोमती का जल-स्तर एकाएक तेजी से बढ गया । सुबह हमें नदी में बाढ़ दिखाई दी । नदी पानी से लबालब भरी हुई थी और दोनो किनारो की सतह से पानी टकरा रहा था । जल-स्तर हर क्षण बढ़ता जा रहा था ।
लखनऊ शहर को गम्भीर खतरा पैदा हो गया था । पड़ोस के गावों में पानी भर गया था । कई स्थानों पर किनारों के ऊपर से पानी बहने लगा था । दोपहर के बाद हम लोगों ने नदी की धारा में तमाम तरह की वस्तुओं बहती देखीं । पानी का बहाव बड़ा तेज था । जगह-जगह झोंपडियों के छप्पर बहे जा रहे थे । पशुओं के मृत शरीर और विशाल वृक्ष पानी की सतह पर बह रहे थे ।
कहीं-कहीं उनके शरीरों पर कौवे और गिद्ध बैठे मांस नोच-नोच कर खा रहे थे । खड़ी फसलें नष्ट हो गई थीं । कहीं-कहीं पुरुषो और महिलाओं के शव भी बहते दिख रहे थे । नदी के ऊपरी इलाकों से बराबर संदेश मिल रहे थे कि वही पानी और बढ़ रहा है, जो जल्दी ही लखनऊ पहुंच जायेगा । शाम तक हमें ज्ञात हुआ कि पानी ने लखनऊ के बाहरी इलाको को अपनी पेट में ले लिया है ।
नगर में तहलका:
समूचे नगर में तहलका मच गया । जिन इलाको में पानी भरने लगा था, वही के लोग अपने-अपने मकानों की छतों पर चढ गए, ताकि उनकी जीवन रक्षा हो । कच्चे मकान धड़ाधड़ गिर रहे थे । वही के लोग भाग-भागकर ऊँचे स्थानों पर शरण लेने का प्रयत्न कर रहे थे ।
अपने सिरों पर जमा पूँजी लादे घुटनो से ऊपर पानी से घिरते हजारों लोग दिखाई दे रहे थे । कुछ समय बाद ही गोमती पर बना बांध टूट गया । पानी बड़ी तेजी से नगर में घुसने लगा ।
सैनिक सहायता:
स्थिति काबू से बाहर हो गई । नगर की सचार व्यवस्था ठप्प हो गई । अनेक स्थानों पर बिजली भी बन्द हो गई । पावर हाउस में पानी घुस गया । अब अधिकारियो ने सहायता के लिए सेना बुला ली । सैनिक नौकाओं बाद में फंसे अनेक लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया ।
पानी से घिरे अपनी छतों पर डटे लोगों को भोजन, जल, दूध आदि नावों से पहुचाने की व्यवस्था की गई । लेकिन कई इलाकों में नावों का पहुँचना भी कठिन था । ऐसी अवस्था में सेना ने हेलीकॉप्टरों की मदद से खाद्य पैकेट गिराये ।
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पानी का वेग रोकने के लिए बांध टूटने के स्थान पर हेलीकॉप्टर की मदद से सैकडों सीमेट व बालू के बोरे गिराये गए । भरे हुए पानी को निकालने के लिए नालियो खोदी गईं । शहर के लोग रात भर जागते रहे । सभी को अपने-अपने मकानो तक पानी पहुँचने का खतरा दिखाई दे रहा था ।
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मकान की निचली मजिलों तक पानी पहुँचने का खतरा दिखाई दे रहा था । मकान की निचली मंज़िलें । जले खाली की जा चुकी थीं । अगले दिन सुबह जाकर पानी का बढ़ना सक गया । लोगो ने ईश्वर का धन्यवाद किया और राहत की कुछ सास ली ।
बाढ़-पीड़ितों की सहायता:
बाढ़ से निकाले गए हजारो लोग ऊँचे स्थानो पर टिकाए गए थे । उनके रहने के लिए नगर के स्कूलों और धर्मशालाओं मे व्यवस्था की गई । एक सप्ताह के लिए नगर के सारे स्कूल-कालेज बन्द कर दिये गए ।
उनके भोजन की व्यवरथा के लिए कई रचयसेवी संस्थाये सामने आईं । बच्चों के लिए दूध के पाउडर की व्यवस्था की गई । जब तक खाना पकाने का प्रबन्ध न हो, तब तक उन्हे पका-पकाया भोजन उपलब्ध कराया गया ।
बहुत-से लोग बीमार हो गये थे । उनकी तत्काल चिकित्सा-व्यवस्था की गई । ऐसे में हैजा फैलने की बड़ी सभावना होती है, इसलिए हैजे के टीके सभी को अनिवार्य रूप से लगाए गए । बहुत-से लोगो के पास वस नहीं थे । उनके लिए पहनने-ओढ़ने के वस और कबल आदि का इंतजाम किया गया ।
उपसंहार:
बाढ़ का दृश्य भयावह था । निचले इलाकों में रहने वाले हजारों लोग एकदम बरबाद हो गए । उनका साब-कुछ बाढ़ में बह गया । गाँवों की खड़ी फसलें पूरी तरह बरबाद हो गईं । इस तरह इस बाढ में जान-माल की भयंकर क्षति हुई ।