सैर के दौरान एक अप्रत्याशित घटना पर अनुच्छेद | Paragraph on An Unexpected Incident During a Visit in Hindi
प्रस्तावना:
पिछले वर्ष अगरत्त का महीना था । सुबह से ही बादल छाये हुए थे । सुन्दर शीतल पवन बह रही थी । ऐसे सुहावने मौसम मै मेरा सैर करने का मन हो आया ।
मैं अपने मित्रों के घर गया और उनसे अपना इरादा बताया । वे भी सहर्ष सैर को तैयार हो गए । हम लोगों ने वृन्दावन की सैर का निर्णय किया । वृन्दावन हमारे गाव से लगभग आठ किलोमीटर दूर है । इस सुन्दर मौसम में हम लोगों ने पैदल जाने का इरादा किया ।
मार्ग में तूफान और वर्षा:
हम लोग आपस में हंसी-मजाक करते हुए वृन्दावन की ओर चल पडे । मार्ग के दोनों ओर हरे-भरे खेत लहरा रहे थे । किसान खेतों से खर-पतवार निकालने में व्यक्त थे । कुछ दूरी पर हमें गायों का झुण्ड घास चरते दीख पड़ा । चरवाहा पेड़ की छाया में वंशी पर मधुर धुन बजा रहा था ।
उसकी धुन से प्रभावित होकर मेरा एक मित्र वर्षा का गीत गाने लगा । आसमान अभी तक बादलों से ढका हुआ था । इतनी ही देर में हवा एकदम थम गई । वातावरण एकदम शान्त हो गया । एक अजीब-सी घुटन महसूस हुई । हम सभी चौक पड़े, क्योंकि अब ऐसा लग रहा था कि भीषण वर्षा होगी । थोड़ी ही देर में पानी की बड़ी-बड़ी बूँदें गिरने लगीं और देखते-ही-देखते घनघोर वर्षा होने लगी ।
ADVERTISEMENTS:
बिजली बड़े जोर से कड़क कर समूचे आसमान का फेरा लगाकर गायब हो जाती । बादलों की घडघडाहट और बिजली की कडक से हमारे कान के पर्दे झनझनाने लगे और हम बार-बार हाथों से कान ढक लेते । पानी की तेज बौछार हमारे शरीर पर कोडों जैसी मार करती लगी ।
हम एकदम सराबोर हो गए । रास्ते में पानी बहने लगा । हमारा आगे बढना अब संभव नहीं दीखता था । अब हवा भी कुछ-कुछ चलने लगी और हमें सर्दी महसूस होने लगी । पेड़ के नीचे हम रुक गए, लेकिन कडकती बिजली और तेज होती हवा के कारण वृक्ष हमें सुरक्षित नहीं लगे । अत: हम लोग चारो ओर रुकने के लिए किसी सुरक्षित स्थान को देखने का प्रयास करने लगे ।
एक खंडहर में शरण:
रोशनी भी बहुत कम थी, इसलिए अधिक दूर तक स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा था । इतने में मेरे एक मित्र ने कुछ इमारत जैसी एक चीज हमें दिखाई । हम सभी ध्यान से देखने लगे, पर ठीक से कुछ समझ न पाये । इतने में बड़ी तेज बिजली चमकी, जिसके प्रकाश में हमने देखा कि थोड़ी ही दूर पर एक प्राचीन इमारत है ।
उसे देखकर हम बड़े प्रसन्न हुए और उस ओर दौड़ पड़े । वहा पहुंच कर हमने देखा कि वह किसी प्राचीन विशाल इमारत का खंडहर है । हमने उसके बरामदे मे शरण ली । अपने कपड़े निचोड़ कर और बदन के पानी को पोंछ कर कुछ देर राहत पाने के बाद हमने उस इमारत को भीतर से देखना चाहा ।
इमारत के अन्दर कई कमरे दिखे, जिनमें दरवाजे नहीं थे- उसकी छते अभी गिरी नहीं थीं, इसलिए वर्षा से हम सुरक्षित थे । हमारा एक मित्र एक कमरे में घुसा । उसने वही सोने की चूड़ियाँ, कांच की रंगीन चूड़ियों के टुकडे तथा खून का एक बड़ा धबा देखा ।
ADVERTISEMENTS:
एक कोने में ताजी हड्डियों का ढेर पडा था । वह दृश्य देख कर भयभीत हो गया कड़ी जोर से हमे पुकार कर बुलाया । दृश्य देखकर हम सभी रोमांचित हो ऊठे । अब हमने ध्यान से कमरे का निरीक्षण किया । कमरे में एक ओर स्त्री के फटे हुए वस्त्र भी पड़े थे और एक चांदी की पायल थी । इन सभी चीजों को देखकर हम आश्चर्यचकित हुए और भयभीत भी । हम सभी विचार करने लगे कि वास्तविकता क्या है ।
हमारा निष्कर्ष:
हम सभी वहाँ इन चीजो के होने का कारण नहीं समझ पा रहे थे । फर्श पर खून आदि साक्ष्य महिला की हत्या का संकेत कर रहे थे, लेकिन हत्यारे ने स्त्री के मांस का क्या किया, हत्या क्यों की तथा सोने और चाँदी की चीजें क्यों छोड़ गया एकाएक हमें एल्ह विचार ध्यान मे आया कि इस महिला का किसी जगली जानवर ने शिकार किया है ।
उसके मांस को खाकर हड्डिया आदि वहीं छोड़कर पशु कहीं चला गया है । हमारे अनुमान से वह महिला भी घूमने निकली होगी । अकेला पाकर उसे कोई जंगली पशु दबोच कर यही खींच लाया और उसे खा गया । यह सोचकर हम सब बडे भयभीत हुए ।
ADVERTISEMENTS:
हमें लगा कि वही शायद कोई सिंह या शेर रहता है, जो इस समय शिकार की तलाश में बाहर निकला होगा । इस विचार के आते ही हम भयभीत होकर वही से सिर पर पैर रख भाग निकले । मार्ग की कंटीली झाड़ियों की परवाह किये बिना मिनटो में हम मुख्य सड़क पर आ गए । हम सब उस महिला के दुर्भाग्य को सोचकर दुखी हुए और अपने सकुशल बच निकलने के लिए ईश्वर को धन्यवाद देने लगे । सैर का हमारा साथ मजा किरकिरा हो गया ।
पानी कम होना और आगे की यात्रा:
अब पानी थमने लगा था । बादल हटने शुरू हो गये और धीरे-धीरे धूप निकलने लगी । सडक का पानी भी बह गया । हम लोग वृन्दावन से केवल दो किलोमीटर दूर थे । हमारा मन बड़ा उदास था । मन्दिरो को देखने का सारा उत्साह फीका पड चुका था । हमारा मन वापस लौटने को कह रहा था । इतने में मेरे एक मित्र ने कहा कि वही से हमें पैदल ही वापस लौटना पड़ेगा, जबकि वृन्दावन जाकर हम कुछ मन्दिरों के दर्शन करके किसी सवारी से वापस लौट सकेगे ।
भरा ने हमें थका भी डाला था अत: 6 किलोमीटर पैदल चलने की अपेक्षा हमने 2 किलोमीटर दूर वृन्दावन जाने का निश्चय किया और भारी मन से फिर आगे चल पड़े । अब हमें मार्ग के किसी सौन्दर्य ने कतई प्रभावित नहीं किया । हम उस दर्दनाक दृश्य को मन ही मन सोचते हुए चुपचाप आगे बढ़ते रहे ।
उपसंहार:
कई बार हम लोगों ने उस दुःखद घटना को भुलाकर प्रसन्न होने का प्रयास किया, पर असफल रहे । हमारी खो के सामने बार-बार वही खडहर का दृश्य आ जाता और हम गमगीन हो उठते । भारी मन लिए हम वृन्दावन पहुंचे ।
ADVERTISEMENTS:
वहां हमने केवल बांके बिहारीजी के प्रसिद्ध मन्दिर में भगवान् के दर्शन किए और अपने सकुशल लौट आने के लिए उन्हें लाख-लाख धैन्यवाद दिया । मन्दिर की भव्यता हमें तनिक भी प्रभावित न कर सकी । बाहर निकलकर हमने एक तांगा किया और घर लौट पड़े ।