अटल बिहारी वाजपेयी पर अनुच्छेद | Paragraph on Atal Bihari Bajpai in Hindi
भारत में राष्ट्रीय रचय सेवक राघ ऐसा सांस्कृतिक संगठन है, जो नागरिकों को राष्ट्रभक्ति का प्रशिक्षण देता है । अपने बाल्यकाल मे इस सगठन से अपना सजीव सम्बन्ध जोड़ कर राष्ट्र के प्रति सम्पूर्ण समपर्ण का व्रत लेकर, देश की राजनीति को स्वास्थ्य प्रदान करते हुए अपनी प्रौढावस्था में प्रधानमंत्री पद का दायित्व वहन करने वाले अटल बिहारी को विश्व निकट से जानता है ।
अटल जी देश का प्रशासन मित्रामित्र सबके परामर्श का निष्कर्ष निकाल कर करते हैं । सबको साथ लेकर चलने की परम्परा उन्हें बहुत सुन्दर लगती है । पंथ-निरपेक्ष धारणा के मिथ्या प्रचार का खण्डन और पराक्रमवाद का मण्डन उनके राजनैतिक जीवन के अग है ।
अटल जी ने मध्य प्रदेश राज्य में शिन्दे की छावनी में 25 दिसम्बर, सन् 1924 के दिन जन्म लिया । आपके पिता श्री कृष्णाबेहारी और माता श्रीमती कृष्णा देवी विशुद्ध भारतीयता के मूर्तिमान प्रतीक थे । देश की सास्कृतिक परम्पराओं को छाप बालक अटल बिहारी के जीवन पर होना स्वाभाविक ही है ।
अटल जी के रक्त में प्रखर देशप्रेम जाग उठा । अजीवन लेवाह न करने का निश्चय किया । आडम्बर से दूर रह कर सरल एव सात्विक जोयन शैली को अपनाया । समाज की दुर्दशा ने राजर्नौतेक भ्रष्टाबार ने तथा महान् भारत के प्राते अटूट श्रद्धा श्रद्धा ने आपको संवेदनशील कवि बना दिया ।
लोकतन्त्र में राजनीति भी सामजिक चेतना का अपरिहार्य अंग है – इस भावना ने एक नवीन दल जन सच का गठन किया और अटल जी जन संघ के संस्थापक सदस्य बने । संसद में प्रवेश किया । प्रतिपक्ष के नायक के रूप में देल की भूमिएका सचालन करने में ख्याति प्राप्त की । दलगत स्वार्थ की क्षुद्र भावना से ऊपर उठकर अपनी वाकपटुता एव ओजस्वी भाषण माला से अनेक लोगों का मन मोह लिया ।
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आपका व्यक्तित्व निष्कलंक चन्द्रमा की भांति प्रकाशमान है । अटल जी क्षुद्र आलोचना की अवहेलना करते हैं और वर्गगत स्वार्थ पर आक्षेप करते हैं । स्वस्थ दृष्टिकोण की सराहना करते है । अपने विरोधी राजनीतिइघे की प्रशंसा के पात्र हैं । राष्ट्र भाषा हिन्दी के प्रति अटलजी का अनुराग उनके लेखों और कविताओ में प्रकट है ।
अक्तूबर, 1977 में संयुक्त राष्ट्र संघ में आपने भाषण हिन्दी में दिया । इससे पूर्व अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर किसी ने भी हिन्दी भाषा को ऐसी गरिमा प्रदान नहीं की थी । कूटनीति में दक्ष अटल जी ने विदेश मन्त्री के रूप में अनेक देशो के राजनीतिज्ञो से वार्तालाप करने गये ।
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25 जनवरी, 1992 के दिन भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण अंलकरण से सम्मानित किया । उत्तर प्रदेश राज्य के हिन्दी सरथान ने आपको हिन्दी गौरव के अलंकरण से 28 सितम्बर, 1992 के दिन सम्मानित किया । 16 अगस्त, 1994 को आपको गोविन्द वल्लभ पंत पुररकार प्राप्त हुआ । यह पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ सांसद को दिया जाता है ।
अपने राजनीतिक जीवन के 40 वर्ष सांसद के रूप में व्यतीत करने वाले अटलजी ग्यारहवीं लोकसभा के अल्पकालीन प्रधानमत्री रहे । अब वर्तमान में बारहवीं लोकसभा के प्रधानमंत्री हैं । आपको अपने दल-भारतीय जनता पार्टी के अतिरिक्त कई अन्यो दलों का समर्थन प्राप्त है ।
मई, 1998 में आपकी अनुमति से भारत के वैज्ञानिको ने परमाणु विरफोट परीक्षण किये हैं । अटलजी के कारण भारत शक्ति सम्पन्न देश के रूप में मान्यता प्राप्त कर पाया है । अटलजी के अटल विश्वस के कारण भारत के प्रति अनेक देशो की उपेक्षा का तिरोहन हो जायेगा ।