अनुशासन पर अनुच्छेद | Paragraph on Discipline in Hindi

प्रस्तावना:

अनुशासन का अर्थ साधारण व्यवहार के नियमों, कानून, निर्देशों, आदर्शो, आज्ञा आदि का रचेच्छा से पालन करना है । अनुशासन परिवार, समाज तथा अपने रचय के प्रति हमारे व्यवहार को सचालित करता है ।

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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । वह कभी अकेला नहीं रहता । हर समाज में आपसी व्यवहार के कुछ नियम और परिपाटियां होती हैं, जिनका अनुसरण करके हमारा जीवन व्यवस्थित और शातिमय रहता है । यदि इन नियमों की अवहेलना की जाये, तो सामाजिक जीवन नष्ट हो जाएगा ।

अनुशासन की शिक्षा : दूसरों के प्रति अपने कर्त्तव्यों के ज्ञान से अनुशासन पैदा होता है । यह अपने आप नहीं आता । इसकी बचपन से आदत डालनी पडती है । बचपन से जीवन के हर क्षेत्र में, चाहे परिवार हो या स्कूल खेल का मैदान हो अथवा कार्यालय हमें दूसरी के साथ उचित व्यवहार करने का ढंश आना चाहिए । यह एक ऐसा प्रशिक्षण है, जो हम सभी को प्रारभ से मिलना चाहिए, ताकि हम दूसरों के प्रति अपने कर्त्तव्यों का ध्यान रख सके ।

अनुशासन से निजी आजादी कम नहीं होती:

कुछ लोगो का मत है कि अनुशासन से लोगो के व्यवहार की व्यक्तिगत आजादी पर अकुश लगता है । वे इसे एक बंधन मानते है । लेकिन उनका यह मत ठीक नहीं है । ध्यान रहे कि अधिकार और कर्त्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । हमारा कर्त्तव्य दूसरे व्यक्ति का अधिकार होता है । यदि हग्र चाहते है कि बडे हमें प्यार करें, तो हमें उनका आदर करना पड़ेगा ।

अनुशासन के अभाव में समाज में अव्यवस्था फैल जायेगी । अव्यवस्था को हालत में किसी की आजादी कायम नही रह सकती । आजादी का अर्थ मनमानी करना नहीं होता । अनुशासन के द्वारा ही हम दूसरों की व्यक्तिगत आजादी में बाधा डाले बिना अपनी आजादी का उपभोग कर सकते है ।

समाज की असली शक्ति:

समाज की असली शक्ति वहाँ के लोगों के शारीरिक बल और संख्या के बजाय लोगों के अनुशासन में निहित होती है । अनुशासन करके ही व्यक्ति महान बनते है । इसके लिए आत्मनियत्रण और बलिदान की अवस्यकता होती है ।

सेना में विशेष महत्त्व:

अनुशासन का यों तो जीवन के हर क्षेत्र में महत्त्व है लेकिन सेना में इसका इतना महत्त्व है कि अनुशासन के अभाव में सेना गठित ही नहीं हो सकती । पूर्ण अनुशासित सेना बड़े-से-बड़े संकट का सामना करने में समर्थ होती है । सेना का सिपाही यदि अपनी मनमानी करने लगे और अपनी रक्षा की बात सोचने लगें, तो युद्ध कैसे लड़ा जायेगा ।

उसे तो अपना सब-कुछ भुलाकर अधिकारी की आइघ माननी पड़ती है । आत्म-बलिदान की भावना अनुशासन की पहली शर्त है और सैनिकों में बलिदान का विशेष महत्त्व है ।

सभी के लिए अनुशासन आवश्यक है:

अनुशासन केवल आज्ञापालन में निहित नहीं है । बडों से छोटों तक सभी को अनुशासन का पालन करना पड़ता है । किसी ने ठीक ही कहा है कि अनुशासन का अर्थ अनुशासन है । इसका अभिप्राय यह है कि अनुशासन से परे कोई भी नहीं है ।

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संसार के सबसे बड़े और शक्तिशाली व्यक्ति को अनुशासन का पालन करना पडता है । देश का राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री तक किसी-न-किसी प्रकार के अनुशासन से बधे होते है । सेना के सर्वोच्च कमाण्डर को भी साधारण सिपाही के सेल्युट का उत्तर देना पडता है । ट्रैफिफ नियमों का पालन सभी के लिए एक् जैसा है ।

भारत में अनुशासन का अभाव:

खेद का विषय है कि हमारे देश में अनुशासन की बहुत कमी दिखाई देती है । हमारी बहुत-सी कमियों का यह प्रमुख कारण है । अनुशासन के अभाव में हमारा व्यवहार अव्यवस्थित भीड जैसा हो जाता है । जगह-जगह हमें अव्यवस्था दिखाई देती है ।

बसों की प्रतीक्षा में, रेल की टिकट खिड़की पर, राशन की दुकानो पक्तिबद्ध होकर हमें बडी सुविधा होती है लेकिन यहा हम रोज लाइनों को टूटते और लोगों को धक्कम-धक्का करते देखते हैं । ट्रैफिक के सिग्नलों और नियमों की अवहेलना करके व्यक्ति गर्व का अनुभव करते हैं, जिसके कारण नित्य अनेक दुर्घटनायें होती हैं । स्कूलों में अध्यापकों का निरादर और नकल जैसी घटनाएं बड़ी साधारणसी बात है ।

अनुशासन बाहर से थोपा नहीं जा सकता:

अनुशासन जोर-जबरदस्ती से लोगों पर नहीं थोपा जा सकता । कानून की सख्ती से कुछ समय के लिए व्यवहार नियंत्रित हो सकता है, लेकिन हर समय और हर स्थान पर चौकसी करना सभव नहीं है । अत: आवश्यकता इस बात की है कि जनता को सही ढंग से शिक्षित करके उनगें अनुशासन की आदत डाली जाये ।

उपसंहार:

हमें बचपन से ही अच्छे और बुरे का जान कराया जाना चाहिए, ताकि बच्चों में प्रारम्भ से ही सही आचरण की आदत बन सके । सच्चा अनुशासन आत्म-अनुशासन है । इसके लिए आत्म-नियन्त्रण की भावना विकसित की जानी चाहिए । लोगों के मन में यह बात भली-भांति बैठा दी जानी चाहिए कि हम दूसरों के प्रति वैसा ही व्यवहार करे, जैसे व्यवहार की हम उनरने अपेक्षा करते हैं । नैतिक शिक्षा और धर्म की सही शिक्षा से अनुशासन की भावना पैदा करने में बड़ी मदद मिल सकती है ।

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