एक भयकर तूफान पर अनुच्छेद | Paragraph on A Dreadful Storm (OR Fury of Nature) in Hindi
प्रस्तावना:
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साधारणतया प्रकृति हमें प्रफुल्लित करती है । लेकिन कभी-कभी वह हम पर कुपित होकर कहर भी बरसा देती है । हमे प्रकृति का प्रकोप भू-रखलन, बाढ़, सूखा और तूफानों आदि के रूप में दिखाई देता है । मुम्बई और उसके आरन-पास के क्षेत्रों में प्रकृति का प्रकोप अधिकतर हमें प्रचण्ड तूफानों के रूप में दिखाई पड़ता है ।
तूफान आने के कारण:
तूफान आने के अनेक कारण हैं । लेकिन इन सब में भौगोलिक कारण सबसे तर्कसंगत है । किसी क्षेत्र में प्राकृतिक कारणो से वायुमण्डल का दबाव आसपास के क्षेत्र के साधारण वायुमण्डलीय दबाव से एकाएक बहुत कम हो जाता है ।
ऐसी अवस्था में आसपास के क्षेत्र की हवायें उस कम दबाव के क्षेत्र में तेजी से आने लगती हैं ताकि दबाब बराबर हो जाये । इरम स्थिति में अक्सर आसमान पर घने बादल छा जाते है और तेज आधी के साथ भयकर वर्षा भी होने लगती है । मुम्बई के आस-पास । के क्षेत्रों में ऐसे तूफान अक्सर आते रहते हैं ।
भयंकर तूफान:
मुम्बई में पिछले वर्ष 30 अक्टूबर की मध्यरात्रि को एक भयकर तूफान आया । उस दिन मंगलवार का दिन था । आमतौर से मुम्बई मे अक्टूबर-नवम्बर में तूफान कभी नहीं आते । लेकिन इस दिन बड़ा भीषण तूफान आया था । सौ किलोमीटर से भी अधिक तेज गति से भयकर आधी चलने लगी ।
मुम्बई के निवासी इस तूफान से भौचक्के रह गए । समूचा मुम्बई नगर इसकी चपेट मे आ गया । कान ने समूचे नगर पर कहर ढा दिया । जगह-जगह वृक्ष जड़ से उखड़ गए । पेडों के पत्तों और डालियों से सड़क पट गई । कुछ पेड उखड़कर चलते हुए व्यक्तियों पर गिरे और वे उनसे दबकर मर गए ।
कहीं मोटरकारों को पेड़ ने चकनाचूर कर दिया । जगह-जगह सडक पर पेड़ गिर पड़े और मार्ग अवरुद्ध हो गए । अनेक मकानों की टीन की छतें हवा में मिसाइलों की तरह उड़ती दीख पड़ीं । वे जहाँ भी गिरतीं, जमीन में फुटो तक धरन जाती ।
कई व्यक्ति इनसे चोट खाकर वहीं मर गए । अनेक झोपडियों हवा से उड़ गई । कई झोंपड-पट्टियाँ पूरी तरह से तहस-नहस हो गईं । अनेक मकानो की पक्की छते भी उड़ गईं । मकान ढह गए और उनके नीचे अनेक लोग दब गए । उद्यान और पार्क एकदम उजड़ गए ।
ऊंचे-ऊचे मकानों के दरवाजे और खिड़कियों जोर-जोर से खड़खडाने लगीं । प्रलय का सा दृश्य उपस्थित हो गया । तूफान ने टेलीफोन, तार तथा बिजली के अनेक खम्भे धराशायी कर दिए । सड़कों पर यातायात एकदम रुक गया । जो वाहन जहाँ था, वही रुक गया और सवार वा हन छोडकर जान बचाने के लिए इधर-उधर की इमारतों में घुस गए ।
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सड़क पत्थरों और पेडों से पट गई । रेल की पटरियाँ जगह-जगह से उखड़ गईं । कई स्थानों पर रेल की पटरियों पर बड़े-बड़े पेड़ टूट कर गिर गए और इस तरह समूचा रेल यातायात भी ठप्प हो गया । सारी सचार व्यवस्था अरत-व्यस्त हो गई । मुम्बई के अनेक क्षेत्रो में बिजली के खम्भे गिर जाने से अधकार छा गया । इस अधकार ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया ।
समुद्र पर तूफान का प्रभाव:
तूफान ने समुद्र को भी नहीं छोड़ा । समुद्र में बड़ी ऊची-ऊंची लहरें उठने लगीं । तटबधों और किनारों को पार करती समुद्री लहरों न अनेक इलाकों में पानी भर दिया । समुद्र तटों की अनेक नौकायें लगर तोड़-तोड़कर लहरो के साथ बहने लगीं । कुछ डूब गई और कुछ चट्टानो से टकरा कर चकनाचूर हो गईं ।
समुद्र के किनारे सोने वाले अनेक व्यक्ति लहरो में बहकर समुद्र के गर्भ में समा गए । सुबह तक तूफान चलता रहा । हजारो परिवार बेघर हो गए । सैकडों जानें चली गई । अनेक परिवारों के रोटी-रोजी कमाने वाले व्यक्ति मर गए ।
उपसंहार:
अगले दिन सुबह तूफान थमने पर उसकी विकरालता का ज्ञान हुआ । तूफान ने भीषण बरबादी ला दी । बड़े व्यापक रूप में भारी नुकसान हुआ । करोडों रुपये की सम्पत्ति नष्ट हो गई । संचार साधनों को ठीक करने में हफ्तों का समय लग गया ।
साल रेल यातायात लगभग चौबीस घटे तक रुक रहा । सैकडों परिवार तबाह हो गए । अखबारों में भीषण बरबादी और करुण गाथा पढ़ कर मेरा हृदय रो उठा । सरकार और समाजवादी संस्थाओं ने पीडितों की सहायता के लिए धनराशि एकत्र की । इस तरह प्रकृति के एक रात के ताण्डव नृत्य ने मुम्बई का नक्शा पलट दिया ।