एक सिनेमा शो पर अनुच्छेद | Paragraph on A Visit to Cinema Show in Hindi

प्रस्तावना:

मैं सिनेमा देखने का अधिक शौकीन नहीं हूँ । मैं अपने पिताजी के साथ महीने में एक बार सिनेमा देखने जाता हूँ । वे अकसर धार्मिक पिक्चर देखते हैं । मुझे भी धार्मिक पिकचर बड़ी अच्छी लगती है ।

सिनेमाघर के बाहर भीड़:

पिछले शुक्रवार को मैं अपने पिताजी के साथ उर्वशी सिनेमाघर में पिक्टर देखने गया । वही उस दिन ‘लव-कुश’ पिक्चर चल रही थी । पिक्चर कुछ दिन पहले ही लगी थी । मैंने इरम पिक्चर की बड़ी तारीफ सुनी थी । सिनेमाघर के बाहर लोगों की अपार भीड़ थी ।

लोग इधर से उधर घूम रहे थे । कुछ लोग फिल्म के बारे में बातें कर रहे थे, जबकि कुछ अन्य बाहर लगी तस्वीरे और पोस्टर देख रहे थे । रित्रयी और बच्चे चार-चार और छ: छ: के युपों में खड़े आपस में बातें कर रहे थे ।

टिकट की खिड़की:

टिकट की खिड़की पर बड़ी भीड़ थी । वहां लाइन तो लगी थी, लेकिन बहुत-से लोग धक्कम-धक्का करके टिकट लेने की कोशिश में थे । अत: लाइन टूट गई । ऐसे में टिकट पाना बड़ा कठिन था । सभी ट्रक-दूसरे को धक्का देते हुए टिकट खिड़की तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे ।

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बाहर कई लोग ब्लैक में टिकटें बेच रहे थे । न तो हम टिकट खिड़की तक पहुंचने की स्थिति में थे और न मेरे पिताजी ब्लैक में टिकट लेना चाहते थे । हम निराश हो चले थे, तभी पिताजी को अपना एक परिचित व्यक्ति मैनेजर के कमरे से बाहर आता दिखा ।

उसने भी पिताजी को देखकर नमस्कार किया । जब उसे पता लगा कि हम दोनों सिनेमा देखने आए हैं और टिकट न मिल पाने से निराश होकर लौटने वाले है, तो उसने टिकट दिलाने का भरोसा दिलाया । वह मैनेजर का परिचित था । उसने पिताजी से रुपये लिए और अन्दर जाकर दो टिकट लाकर पिताजी को दे दिए । मैं बड़ा खुश हुआ । अब हम दोनों सिनेमा हाल के भीतर पहुचे ।

सिनेमा हाल का वर्णन:

सिनेमा हॉल काफी बडा था । इस सिनेमाघर में मैंने पहले कोई पिक्चर नही देखी थी । यहाँ की सीटें बड़ी आरामदेह थीं । प्रकाश की बड़ी अच्छी व्यवस्था थी । पूरा हॉल वातानुकूलित था । हॉल में कोई पंखा नहीं था, फिर भी काफी ठंडक थी ।

अभी तक बहुत-सी सीटें खाली पडी थीं, धीरे-धीरे लोग आ रहे थे और सिनेमा कर्मचारी उन्हें बैठने के निश्चित स्थान के बारे में बता रहे थे । हमारे सामने एक विशाल रूपहला पर्दा था । थोड़ी ही देर में हाल पूरा भर गया । शो शुरू होने का समय भी हो चला था ।

शो का प्रारम्भ:

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इतने में घंटी बजी और हाल की बत्तियाँ बुझ गई । सबसे पहले कुछ विज्ञापन की स्लाइडें दिखाई गई । इसके बाद दो-तीन विज्ञापन की लघु फिल्में दिखाई गईं । इसके बाद फिल्मस डिविजन का समाचार चित्र दिखाया जाने लगा । लगमग 25 मिनट तक यह सब दिखाने के बाद पिक्चर प्रारम्भ हुई ।

फिल्म की कहानी:

यह धार्मिक और ऐतिहासिक फिल्म थी । सीता के बनवास से फिल्म शुरू हुई । सीता का बिछोह बड़े कारुणिक रूप में दिखाया गया था । दृश्य इतना हृदयस्पर्शी था कि अनेक महिलायें और बच्चे पिक्चर हॉल में ही रुदन करने लगे ।

इसके बाद बाल्मीकि आश्रम का दृश्य भी बड़ा सजीव था । आश्रम में लव-कुश का जन्म दिखाया गया । षि बाल्मीकि ने लव-कुश को समुचित शिक्षा दी । लव और कुश के बचपन के अलौकिक दृश्य देखकर मैं बड़ा प्रभावित हुआ ।

जब वे थोड़े बड़े हुए, तो उन्हे युद्ध की शिक्षा दी गई । कुछ समय में ही वे धुरधर तीरंदाज बन गए । इधर अयोध्या में श्रीराम ने अश्वमेध यइा का आयोजन किया । इस यइा का घोडा जब बाल्मीकि ऋषि के आश्रम के पास आया, तो लव-कुश ने उस घोडे को बांध दिया ।

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उन्होंने घोड़े को आगे नहीं बढ़ने दिया । घोड़े के साथ की सेना को परास्त कर लव-कुश ने भगा दिया । जब राम को येह खबर मिली, तो वे स्वयं युद्ध करने आए । राम तथा लव-कुश कै बीच घोर युद्ध हुआ । अनेक प्रकार के तीर चले ।

फिर तलवारों से युद्ध हुआ, लेकिन कोई परास्त न हो सका । युद्ध की खबर सुनकर सीताजी आश्रम से बाहर आईं । उन्होने अपने पुत्रों को श्रीराम से युद्ध करते देखा । लव-कुश को यह ज्ञात नहीं था कि वे अपने पिता से युद्ध कर रहे हैं । सीताजी यह देखकर बडी धुथ हुईं ।

वे श्रीराम तथा लव-कुश के बीच में आ गईं । श्रीराम सीता को देखकर चकित हुए और जब यह जाना कि लव-कुश उन्हीं की सन्तान है, तो बडे हर्षित भी हुए । उन्होंने सीताजी से अयोध्या वापस लौटने का अनुरोध किया, किन्तु वे किसी प्रकार तैयार नहीं हुईं ।

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उन्होंने धरती माता से प्रार्थना की कि वे उन्हें अपने में समाहित कर ले । इतने में जोर की कडक के साथ धरती फट गई । सीताजी ने लव-कुश को श्रीराम को सौंप कर धरती में समाधि लगा ली । फिल्म के सभी दृश्य बड़े प्रभावशाली थे । सभी पात्रों का अभिनय सराहनीय था । वस्त्र और सज्जा आदि समयानुकूल थी । फिल्म का सगीत बड़ा मधुर और कर्णप्रिय था । लव-कुश का अभिनय तारीफ के लायक था । सीता का रुदन मर्मस्पर्शी था ।

उपसंहार:

लगभग साढ़े नौ बजे शो समाप्त हो गया । हम सब लोग फिल्म की तारीफ करते हाल से बाहर आ गए । मुझे यह पिक्टर बहुत पसन्द आई । संभवत: अब तक देखी गई सभी फ्तित्नो से यह फिल्म मुझे सबसे अच्छी लगी ।

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