किसी उच्च विदेशी पदाधिकारी की भारत-यात्रा पर अनुच्छेद | Paragraph on The Visit of a Foreign Dignitary to India in Hindi
प्रस्तावना:
21 जनवरी, 1961 का दिन था । उस दिन ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ भारत-यात्रा पर आई थी । उनके साथ उनके पति ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग भी आए थे । हवाई अड्डे पर उनका स्वागत करने के लिए भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद और प्रधानमंत्री श्री नेहरू के साथ अनेक मत्री तथा नगर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे ।
हवाई जहाज से उतरते ही चारों ओर तालियो की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत हुआ । सबसे पहले राष्ट्रपति महोदय ने आगन्तुक दम्पत्ति का अभिवादन किया । उसके बाद उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, अन्य मत्रिगण दूतावास के लोगों तथा सम्मानित नागरिकों का परिचय कराया गया ।
हवाई अड्डे पर स्वागत:
चीफ ऑफ प्रोटोकॉल ने महारानी का मार्गदर्शन किया । उन्हें सलामी मच पर ले जाया गया, जो इस हेतु हवाई अड्डे पर ही बनाई गई थी । सैनिक बैंडों ने भारतीय और ब्रिटिश राष्ट्रध्वनियाँ बजाई । उन्हें गार्ड ऑफ आनर पेश किया गया । इसके बाद उन्होंने संक्षिप्त भाषण दिया । हवाई अड्डे का स्वागत समारोह समाप्त हो जाने के बाद उन्हे राष्ट्रपति भवन ले जाया गया ।
राष्ट्रपति भवन तक शाही यात्रा:
सम्मानित अतिथियों के लिए विशेष मोटरगाडियो का प्रबन्ध किया गया था । महारानी राष्ट्रपति के साथ एक बड़ी काली गाड़ी में बैठी, जिसमें भारत तथा ब्रिटेन के राष्ट्रीय झंडे लगे हुए थे । अन्य गाडियों में प्रधान मंत्री तथा महारानी के पति और अन्य मंत्रिगण आदि बैठे । मोटरों का यह काफिला धीरे-धीरे राष्ट्रपति भवन फी ओर चल पड़ा ।
मार्ग में क्रम से भारतीय और ब्रिटेन के झंडे लहरा रहे थे । जगह-जगह फूलो के आकर्षक स्वागत द्वार बने थे । सड़क के दोनों ओर अनेक नर-नारी उनके स्वागत को उपस्थित थे । वे हाथ हिला-हिलाकर सम्माननीय अतिथि का स्वागत कर रहे थे ।
महारानी की कार धीरे-धीरे चल रही थी । महारानी भी कार से हाथ निकाल कर उनके अभिवादन का उत्तर दे रही थीं । कनाट प्लेस पर लोगों की भारी भीड़ थी । पुलिस के बड़े अच्छे प्रबन्ध के बावजूद लोगों की भीड़ रास्ता रोक लेती । बड़ी कठिनाई से घटे में बीस किलोमीटर का सफर तय करके काफिला राष्ट्रपति भवन पहुँचा । महारानी के ठहरने, की यहीं व्यवस्था की गई थी ।
नागरिक अभिवादन:
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भारत में महारानी का बड़ा व्यस्त कार्यक्रम था । अगले दिन वे राजघाट गईं जहाँ उन्होंने राष्ट्रपति महात्मा गांधी का समाधि पर फूल चढ़ाये । उन्होंने 26 जनवरी को गणतत्र दिवस की परेड़ देखी । उसी दिन शाम को रामलीला मैदान में उनका नागरिक अभिनदंन किया गया ।
समूचा रामलीला मैदान लोगों से हंसा हुआ था । दिल्ली के मेरार ने उन्हें कुतुब मीनार का एक मॉडल भेंट किया । उन्होंने अंग्रेजी में भारत की जनता का आभार प्रकट करते हुए संक्षिप्त और प्रभावोत्पादक भाषण दिया । भाषण में उन्होंने भारत की तीव्र प्रगति की सराहना की और भारत तथा यहाँ की जनता के लिए शुभ-कामनाये व्यक्त कीं ।
अन्य स्थानों का भ्रमण:
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भारत निवास के दौरान वे कुछ समय के लिए आगरा गईं । वही उन्होंने ताजमहल देखा । ताजमहल की सुन्दरता से वे बड़ी प्रभावित हुईं । उन्होंने प्राचीन भारतीय कला की मुक्त कठ से प्रशसा की । आगरा में भी उनका नागरिक अभिनंदन हुआ । यही के मेयर ने उन्हें ताजमहल का एक सुन्दर मॉडल भेंट किया जयपुर गई । वही का हवा महल देखकर वे विशेष प्रसन्न हुएrए सन्तान जयपुर के महाराजा का महल भी देखा ।
यहाँ की कुछ अद्भुत कलाकृतियों की उन्होंने भूरी-भूरी प्रशंसा की । यही के नागरिकों ने भी उनका भव्य स्वागत किया । यहाँ जयपुर की कढ़ाई का एक शाल उन्हें भेंट किया गया । इसके बाद वे वाराणसी गईं । वाराणसी के घाटों तथा विश्वनाथ मदिर के- उन्होंने दर्शन किए तथा हिन्दू विश्वविद्यालय का भ्रमण किया । बनारस के मेयर ने उन्हें जारी की एक कलात्मक साडी भेंट की । वे जहाँ भी गईं, उनका हार्दिक स्वागत हुआ । भारत के लोगों का प्यार देखकर वे आत्मविभोर हो उठीं ।
उपसहार:
महारानी भारत में दो सप्ताह रुकीं । उनके ब्रिटेन लौटते समय भी भारतीयों ने उन्हें बड़ी भावभीनी विदाई दी । उन्हें यह देखकर बड़ा हर्ष हुआ कि भारत के लोगों के मन में उनके व उनके देश के प्रति इतना प्यार है । उन्होने भारत के लोगों और यही के लोगों की मुक्तकठ से प्रशसा की और अपने हार्दिक स्वागत का धन्यवाद दिया ।