किसी कारखाने का भ्रमण पर अनुच्छेद | Paragraph on A Visit to a Factory in Hindi
प्रस्तावना:
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मैंने सुन रखा था कि हमारे शहर से कुछ ही दूरी पर डालमियां नगर में सीमेन्ट का एक विशाल कारखाना है । मैं बहुत दिनों से इस कारखाने को देखने का बड़ा उत्सुक था ।
मैंने एक दिन अपने पिताजी से कारखाना दिखा लाने का अनुरोध किया । वे मेरी बात मान गए । सौभाग्य से उनके एक मित्र इसी कारखाने में एक बड़े अधिकारी थे । उन्होंने हमारे देखने की आवश्यक अनुमति प्राप्त कर ली और कारखाना पहुँचने की निश्चित तिथि बता दी ।
कारखाना पहुँचना:
हम लोग नियत तिथि पर ठीक समय पर कारखाने के गेट पर पहुँच गए । बाहर से अनेक चिमनियों से धुँआ उठ रहा था । कारखाने का विशाल गेट बन्द था । उसी में एक छोटा फाटक भी था, जिस पर संतरी खड़ा था । हमने गेट पर आकर उन अधिकारी से बात करनी चाही ।
टेलीफोन से उनसे संपर्क हुआ । कुछ ही देर में वे गेट पर आए और दर्शक पुरितका में हमारा नाम आदि लिखाकर हमें भीतर ले गए । अपने कमरे में आकर उन्होंने हमें चाय पिलवाई तथा एक अनुभवी कर्मचारी को कारखाना दिखाने के लिए हमारे साथ भेज दिया ।
कारखाने का बिजलीघर:
सबसे पहले हमें कारखाने का बिजलीघर दिखाया गया । इस बिजलीघर में कारखाने के सभी विभागों के लिए आवश्यक बिजली का उत्पादन होता था । बिजलीघर में बड़े-बड़े बॉलर थे । एक नहर से बिजलीघर को पानी मिलता था । बिजलीघर की दूसरी ओर एक बडा हौज बना था । इसमें बिजलीघर का गरम पानी जमा होता था, जिसे फबारो के रूप में उछाल कर ठंडा किया जाता था और ठंडा होकर पानी उसी नहर से पुन: बिजलीघर में चला जाता था ।
पत्थरों की पिसाई:
इसके बाद हम लोग एक अन्य इमारत में गए, जहाँ सीमेन्ट का उत्पादन होता था । यही अनेक विशाल रोलर लगे हुए थे । वे बड़ी तेजी से घूम रहे थे । स्वचालित मशीनो से ठीक अनुपात में विशेष किस्म के पत्थर व बालू आदि इन पर नियमित गति से गिर रहे थे ।
रोलर बड़ी तेजी से इन पत्थरों को पल में पीसकर चूर्ण बना देते थे । रोलरों के नीचे यह पिसा हुआ चूर्ण एकत्र हो रहा था । चारों ओर स्लेटी रंग की धूल उड रही थी । सभी कर्मचारी अपनी नाक पर कपडा बांधे हुए थे । हम लोग अधिक देर तक यहीं खड़े न रह सके ।
पानी के बड़े हौज:
इसके बाद हमने पानी के विशाल हौज देखे । रोलरो से पिस । हुआ चूर्ण इन हौजों में आता था । तरल रूप में सीमेन्ट इन हौजों में एकत्र हो रहा था । ये इतने गहरे और विशाल थे कि इनमे दो मंजिला इमारत समा जाये ।
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कर्मचारी हमें लोहे की सीढियों पर चढ़कर हौजों के ऊपर ले गया । ऊपर से हमने तरल सीमेन्ट के हौज भली-भांति देखे । यहाँ हमें बताया गया कि इन हौजों से तरल सीमेन्ट के नमूने लेकर उनका रासायनिक विश्लेषण किया जाता है और उसे ठीक पाने पर सुखाने के लिए विशेष विभाग में भेज दिया जाता है ।
सुखाने के व्यवस्था:
यह तरल सीमेन्ट पाइपों के द्वारा एक विशेष कक्ष में ले जाई जाती है जहाँ वह एक विशेष किस्म के टयूबो और रोलरों से गुजरती है जिनके बीच भट्टियों में तपा वायु होती है । कई प्रक्रियाओ से गुजरने के बाद यह सीमेन्ट एकदम महीन और मुलायम धूल की भाँति स्लेटी रग की हो जाती है, जैसी हम बाजार में देखते हैं ।
सीमेंट का भण्डारण:
यह सूखा हुआ सीमेन्ट का पाउडर एक विशाल कक्ष में जमा किया जाता है । हमने ऊपर जाकर गरम सूखी सीमेन्ट को इरम भण्डार कक्ष में गिरते देखा । यही का सारा वातावरण सीमेन्ट के कणो से आच्छादित था । कुछ समय तक इसे भण्डारगृहों में ठण्डा होने के लिए छोड दिया जाता है ।
बोरा बन्दी:
इसके बाद सीमेन्ट को स्वचालित बेल्ट के सहारे एक अन्य स्थान पर ले जाया जाता है । यहाँ इसे जूट के विशेष बोरों में भरा जाता है । मशीनें रचत: ही सही तौल बोरों में भरती जाती है और ये बोरे पुन: एक मशीन रने गुजरते हैं, जहाँ इनकी सिलाई कर दी जाती है । सिले हुए बोरे एक स्थान पर गिर रहे थे, जिन्हें मजदूर उठा कर एक विशाल टिन शेड में जमा कर रहे थे ।
उपसंहार:
लगभग तीन घंटे में समूचे कारखाने का भ्रमण करके हम लोग वापस लौटे । पिताजी ने उन अधिकारी तथा साथ आए कर्मचारी का धन्यवाद प्रकट किया । मैं हर्षित मन से पिताजी के साथ घर लौट आया ।