गणतन्त्र दिवस समारोह पर अनुच्छेद | Paragraph on Republic Day Celebration in Hindi
प्रस्तावना:
26 जनवरी हमारे देश का महान् राष्ट्रीय त्यौहार है । देश के स्वतन्त्रता सग्राम में इस दिन का बडा महत्त्व है । 1929 के दिसम्बर माह में लाहौर में रावी नदी के तट पर भारतीय राष्ट्रीय काग्रेस का वार्षिक अधिवेशन हुआ था ।
इस अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में भारत को पूर्णरूप से रचतत्र कराने के लक्ष्य का प्रस्ताव पास हुआ था । 26 जनवरी, 1930 को देश के कोने-कोने में इस उद्देश्य को पूरा करने में अपना योगदान देने की शपथ ली गई थी ।
भारत 15 अगस्त, 1947 को स्वतत्र हुआ और उसने, नवम्बर 1949 में अपना नया सविधान पास कर दिया । 26 जनवरी के ऐतिहासिक महत्त्व को ध्यान मे रखते हुए संविधान के लागू करने की तिथि आगामी 26 जनवरी यानी 26 जनवरी, 1950 निश्चित की गई । संविधान में भारत को पूर्ण गणतत्र घोषित किया किया । इसीलिए इस दिवस को गणतंत्र दिवस कहा जाता है ।
समारोह:
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1950 से हर वर्ष हम 26 जनवरी को गणतत्र दिवस मनाते हैं । यह हमारा सबसे महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय त्योहार है । समूचे देश में इस दिन को बडे समारोहपूर्वक मनाया जाता है । राष्ट्रीय झंडे फहराये जाते है, प्रभात फेरियाँ निकलती हैं और देश के प्रति समर्पण की कसम खाई जाती है । मुख्य समारोह भारत की राजधानी दिल्ली मे होता है ।
शानदार परेड़ : दिल्ली में इस समारोह की भव्य तैयारियाँ महीनों पहले से होने लगती हैं । सबसे पहले राष्ट्रपति महात्मा गाधी की याद में उनकी समाधि पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तथा अन्य नेता गण फूल चढ़ा कर समारोहों का प्रारभ करते हैं ।
इसके बाद इण्डिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर श्रद्धा-सुमन चढ़ाये जाते हैं और अमर शहीदों को सैनिक सलामी दी जाती है । ठीक दस बजे राष्ट्रपति भवन के पास विजय चौक से एक विशाल जुलूस निकाला जाता है ।
राष्ट्रपति समारोहपूर्वक राजपथ पर बने एक विशाल मंच तक आते हैं । राजपथ के दोनों ओर लाखों लोगो के बैठने का इंतजाम किया जाता है । देश के कोने-कोने से लाखों दर्शक हर वर्ष यह परेड़ देखने आते हैं । परेड में सेना की अनेक टुकडिया अपनी आकर्षक वर्दियों में राजपथ से गुजरती हैं ।
राष्ट्रपति परेड़ की सलामी लेते है । जुलूस में आधुनिक अस्त्र-शस्त्रों, सैनिक गाडियों, विमानों आदि को प्रदर्शित किया जाता है । बीच-बीच में अनेक बैण्ड मार्च ध्वनि बजाते हुए निकलते हैं । देश के कोने-कोने से लोकनर्तक अपनी कला प्रदर्शित करते हुए निकलते है ।
एन॰सी॰सी॰ के कैडट, पुलिस के जवान, सीमा सुरक्षा बल तथा केन्द्रीय रिजर्व पुलिस आदि की अनेक टुकड़ियों भी परेड़ में शामिल होती हैं । परेड का एक और मुख्य आकर्षण केन्द्र देश के विभिन्न राज्यों की सास्कृतिक झाँकियाँ होती हैं ।
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अनेक स्कूलों के लड़के-लड़कियाँ भी इसमें भाग लेते हैं और अपने अनेक करतब दिखाते हुए दर्शकों का मन मोह लेते हैं । परेड राजपथ से होती हुई लाल किला पर जाकर समाप्त होती है । इसके समूचे मार्ग पर हजारो नर-नारी इसे बड़ी रुचि से देखते हैं । इस दिन दिल्ली बडी दुरूनि सी सजी लगती है ।
राष्ट्रपति द्वारा भोज:
शाम को राष्ट्रपति सम्मानित नागरिको, मत्रियों,राजनायिक प्रतिनिधियो आदि को एक शानदार पार्टी देते हैं । यह पार्टी राष्ट्रपति भवन के मुगल उद्यान में होती है ।
लोकनृत्यों का प्रदर्शन:
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देश के सभी भागों से लोकनर्तक इस समारोह में भाग लेने दिल्ली आते हैं । नेशनल स्टेडियम में इनके प्रदर्शन होते है । इन लोकनृत्यों को भारी सख्या में लोग बडे उत्साह से देखते हैं ।
रोशनी और आतिशबाजी:
सभी महत्वपूर्ण सरकारी इमारतो को बिजली के रंगीन बच्चो से सजाया जाता है । शाम को इन्हें जलाया जाता है । यह सभी इमारतें दूर से ही बड़ी आकर्षक लगने लगती हैं । रोशनी कई दिनों तक की जाती है । शाम को रामलीला मैदान में आतिशबाजी का बड़ा आकर्षक प्रदर्शन किया जाता है । सारे दिन शहर में बड़ी भीड़भाड़ रहती है ।
समारोहों का समापन:
29 जनवरी को इन समारोहों का समापन बीटिंग रिट्रीट से होता है । विजय चौक पर बड़े गोल दायरे में सेना के अनेक बैण्ड अपनी विशेष धुन बजाकर परेड करते हैं । राष्ट्रपति इनकी सलामी लेते हैं । लगभग एक घटे तक सेना के इन बैण्डों की धुनें लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं । आकाश में रगीन गुब्बारे छोड़कर इसका समापन होता है ।
उपसंहार:
हमारे देश के इतिहास में 26 जनवरी का बड़ा महत्त्व है । इस दिन हम अपनी याद ताजा करते हैं कि हम स्वतत्र, प्रभुसता सम्पन्न गणराज्य के नागरिक हैं । यही सभी स्त्री-पुरुषों को समान अधिकार प्राप्त है ।
इस दिन हमे अपने कर्त्तव्यों की याद ताजा करनी चाहिये, जिन्हे पूरा करके हम देश को समृद्ध और खुशहाल बना सकते हैं ।