ग्रामीण इलाके की पैदल यात्रा पर अनुच्छेद | Paragraph on Walk Through the Rural Area in Hindi

प्रस्तावना:

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ग्रामीण इलाकों की पैदल यात्रा सदा बड़ी आनन्ददायक होती है । बड़े-बड़े नगरों मे हमें अनेक आकर्षक वस्तुये दिखाई देती हैं, लेकिन उनसे हमें आत्मिक शांति नहीं मिलती ।

चारों तरफ के कोलाहल से ऊब उठते हैं । आराम और विलास तथा मनोरंजन की सुविधाये हमे शांति नहीं दे पातीं । सुन्दर पार्क और फूलों से लदे उद्यान इस ऊब को नहीं मिटा पाते । नगरी की आपाधापी हमें इनकी ओर आकर्षित तक नहीं कर पाती ।

पैदल यात्रा का समय और स्थान:

पिछले वर्ष मैं अपने भाई के साथ फरवरी के प्रथम सप्ताह में अपने नाना के गांव गया । हम दोनों ही प्रात-काल जल्दी उठ जाते हैं । अत: अत: एक दिन बड़ी जल्दी हम लोग उठ गए और पैदल घूमने निकल पड़े ।

प्रात: काल का दृश्य:

चलते हुए हम गांव से बाहर निकल आए । सूरज की लालिमा आसमान पर छाने लगी थी । खेतों में हल्की-हल्की ओस की बूँदे मोती-सी चमक रही थी । चारों तरफ प्राकृतिक सौन्दर्य की छटा छाई हुई थी । मन्द-मन्द शीतल समीर हमें बड़ी आनन्ददायक लग रही थी और हमें तरोताजा कर रहा थी ।

सभी ओर शांति छाई थी लेकिन चिड़ियों की चहचहाहट मधुर गान-सी प्रिय लग रही थी । वृक्षों पर वसन्त छाया हुआ था । उन पर नरम कोंपलें बड़ी सुन्दर लग रही थीं । आसमान एकदम साफ था । बादलों का नामोनिशान नहीं था । हमे चारों तरफ स्वर्गिक सौन्दर्य बिखरा दिखाई दे रहा था ।

नहर की ओर:

इस प्राकृतिक सौंदर्य को निहारते और मुदित होते हुए हम दोनों भाई आगे बढ़ते रहे । ज्यो-ज्यो हम आगे बढ़ते, हम और भी प्रफुल्लित होते जाते । आधा घंटे में हम बहर के किनारे पहुँच गए । अब तक सूरज कुछ ऊपर उठ आया था । उसकी सुनहरी किरणों ने आसमान को स्वर्णिम बना दिया था ।

नहर में पानी की लहरें कल्लोल कर रही थीं । नहर में पानी तेजी से कल-कल करता हुआ बह रहा था । यह ध्वनि हमें मधुर संगीत रगैसी जान पडी और काफी देर हम इसका अगद लेते रहे । नहर के किनारे के क्ष हिल रहे थे, मानो वे मरत -होकर संगीत की धुन पर नाव रहे हों । कुछ देर वहां ठहर कर हम गांव की और वापस हो लिए ।

वापसी का दृश्य:

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गांव लौटते समय प्रकृति का दृश्य बदला हुआ दिखाई पड़ा । हमें बड़ा आश्चर्य हुआ कि इतनी-रनी देर में प्रकृति ने अपना चोला कैसे बदल डाला । अब खेतों में आस के कण नहीं थे । वृक्षों और खेतों पर धूप की सुनहरी किरणें पड रही थी । खेतों में सरसो के पीले-पीले फूल लदे थे । हवा में लहराते इन फूलों को देख हम दोनों बड़े पुलकित हो गए । अब हमे पगडंडियों पर कुँछ व्यक्ति आते-जाते दिखाई दे रहे थे ।

कुछ लोग चींटियों के बिलों को तलाश करते हुए उनमें आटा डाल रहे थे, तो कुछ चिडियों को दाना चुगा रहे थे । दूर से हमे एक चरवाहा पशुओं को चारागाह ले जाते हुए दिखा । पशुओं के गले से घटी की मधुर धुन सुनाई पड़ रही थी । गांवों के समीप आकर हमें कुछ महिलायें अपने सिरसे पर पानी से भर मटके उठाए गांव की ओर जाती दिखीं । दो-तीन मटकों को एक-दूसरे पर रखे और आपस में हंसते-बतियाते उन्हें देखकर हमें बड़ा आश्चर्य हुआ ।

शाम की सैर:

गांव मे घर पर पहुँच कर हमने भोजन किया और दोपहर में विश्राम किया । शाम को हम पुन: सैर को निकल पड़े । अब हमें चराई से लौटती गायों और भैंसो के झुण्ड दिखे । धीरे-धीरे चारों तरफ शाति का साम्राज्य छाने लगा । सूरज अस्त हो रहा था ।

ऊँचे-ऊँचे वृक्ष की डालों पर अरस होते सूरज की किरणे उन्हे रहस्यमयता प्रदान कर रही थीं । एक ओर वृक्ष एकदम काले और अंधकारमय दिख रहे थे जबकि दूसरी ओर से प्रकाशवान् कुछ लोग हमें पेडों के नीचे चबूतरा पर हुक्का गुड़गुड़ाते और आपस में बतियाते भी दिखे । अंधेरा होने पर हम घर लौटे आए ।

उपसंहार:

इस दिन की सैर मैं जीवनभर कभी न भूल पाऊँगा, क्योंकि इसने मुझे सच्ची मानसिक शाति और स्वर्गिक सुख प्रदान किया था । भविष्य में जब भी कोई अन्य ऐसा अवसर मिलेगा, मैं कभी नहीं चुकूँगा ।

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