ब्बॉय स्काउट और उसके कर्त्तव्य पर अनुच्छेद | Paragraph on Boy scout and their Duties in Hindi

प्रस्तावना:

बॉय स्काउट तरुण लड़के और लड़कियां होती हैं, जिन्हें कुछ उपयोगी सेवाओं के लिए प्रशिक्षित किया जाता है । यदि उन्हें ठीक ढंग से प्रशिक्षित किया जाये, तो उन्हें समाज के लिए अनेक उपयोगी कामों में लगाया जा सकता है ।

स्कूल स्काउटों के कई दल बना लिए जाते हैं । उन्हें एक प्रकार का सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है । कभी-कभी वरिष्ठ स्काउटो को स्काउट मास्टर के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है ।

वे क्या सीखते हैं ?

ब्वाय स्काउट ऐसी बातें सीखते हैं, जो उनके व्यावहारिक जीवन में बड़ी काम आती हैं । उन्हें बहादुरी, दिलेरी और दूसरों की सहायता करने का पाठ पढाया जाता है । वे अपनी यूनीफार्म में सदैव बड़े कर्मठ दिखाई पड़ते है । उनमें सेवा, वीरता और देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भर दी जाती है । उन्हें वे सभी उपयोगी बातें सिखाई जाती हैं, जिनसे कोई व्यक्ति आदर्श नागरिक बनता है ।

स्काउट के कर्त्तव्य:

स्काउट के कर्त्तव्य कई प्रकार के होते हैं । दुर्घटना में घायल व्यक्तियों का वे प्राथमिक उपचार करते हैं । वे रोगियों की सेवा और देखभाल करते है । वे हिंसा और दंगों में लोगों का बचाव करते हैं । यदि उन्हें सड़क के किनारे कोई लाचार व्यक्ति पड़ा दिख जाये, तो वे उसे उसके घर अथवा अस्पताल तक पहुंचाते हैं ।

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इस प्रकार रोजमर्रा के जीवन में भी स्काउट लोगों की सहायता और सेवा करते हैं । मेलों और नुमाइशों में व्यय स्काउट बड़ी सराहनीय सेवा करते हैं । तीर्थयात्रियों की जो सेवायें वे करते हैं, उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा होती है । वे महामारी को रोकने में भी भरपूर सहयोग देते हैं । इस प्रकार व्यय स्काउट निश्चय ही उपयोगी स्वयंसेवी दल का निर्माण करते हैं ।

उनकी सेवा का स्वरूप:

बॉय स्काउटो को युद्ध के लिए कभी नहीं बुलाया जाता लेकिन उन्हें हर दिन और हर समय संघर्षरत रहना पड़ता है । यदि किसी मकान में आग लग जाये तो वे सहायता के लिए दौड़ पड़ते हैं । वे देव-दूतों के समान होते हैं । वे किसी जरूरतमन्द की आवश्यकता को पूरा करने का प्रयास करते हैं । हर उपयोगी काम में वे सदैव सबसे आगे रहते हैं ।

स्काउट आन्दोलन का जन्म और विकास:

ब्वाय स्काउट आन्दोलन का जन्म महान् युद्ध (Great War) के दौरान हुआ था । सर रॉबर्ट बाडेन पावेल ने इस आन्दोलन का सूत्रपात किया । प्रशिक्षित स्काउटों ने युद्ध के दौरान सैनिकों की बडी सहायता की । उन्होंने जनता के सामने बड़े उच्च आदर्शो को प्रस्तुत किया ।

इस प्रकार उन्होंने समाज में नैतिकता जागृत की । ज्यों-ज्यों उनकी गाथा लोगों तक पहुंची, अधिकाधिक लोग इसमें आ मिले । अब सभी वर्गों के लड़को और लड़कियों को स्काउट संघो में प्रवेश मिल सकता है । बॉय स्काउट आन्दोलन अब समूचे ससार में फैल गया है ।

उपसंहार:

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पश्चिम के अनेक देशों में बॉय स्काउटों को रोगियों को अस्पताल तक पहुँचाने के काम का प्रशिक्षण दिया जाता है । जब वे बडे हो जाते हैं, तो उन्हें इसी काम की नौकरी दे दी जाती है । सक्षेप मे हम कह सकते हैं कि स्काउट आन्दोलन का उद्देश्य लडको और लड़कियों को श्रेष्ठ नागरिक बनाना है । उनके सर्वोत्तम गुणों का विकास करके यह आन्दोलन उनके स्वस्थ चरित्र का निर्माण करके उनमें सेवा-भावना कूट-कूट कर भरना चाहता है ।

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