भारत की जनसंख्या समस्या पर अनुच्छेद | Paragraph on India’s Population Problem in Hindi
प्रस्तावना:
भारत एक विशाल देश है । देश के सामने अनेक गंभीर समस्याये हैं । हम अक्सर अखबारों में अकाल जैसी स्थिति, गरीबी, भुखमरी, कुपोषण, बाढ़, सूखा आदि के प्रकोपों का वर्णन पढते हैं । सरकार इन समस्याओं को सुलझाने के लिए अनेक उपाय कर रही है ।
भारत में जनसंख्या विरफोट:
भारत की अनेक समस्याओं का कारण यहाँ की तेजी से बढती हुई जनसख्या है । स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि इसे सख्या विस्फोट की संज्ञा दी जाती है । अर्थशारित्रयों का मत है कि भारत के लिए इस बढती हुई जनसंख्या की जरूरतो को पूरा करने के लिये पर्याप्त साधन नहीं हैं । आज हमारी जनसख्या लगभग एक अरब पाच करोड से भी ऊपर होने का अनुमान है ।
यदि इसी गति से जनसख्या वृद्धि होती रही, तो आने वाले समय मे स्थित हर प्रकार से नियंत्रण से बाहर हो जाएगी । जनसख्या में तेजी से वृद्धि के कारण हमारे विकास की गति बहुत धीमी पड़ गई है । गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी जैसी विकराल समस्याओं के मूल में जनसख्या की अधाधुँध वृद्धि है ।
परिवार-नियोजन की आवश्यकता:
यदि देश में खाद्यान्नों तथा अन्य उपयोगी वस्तुओं के उत्पादन की वृद्धि दर जनसंख्या की वृद्धि दर से कम होती है तो बड़ी भयकर स्थिति उत्पन्न हो जायेगी । यों ही भारत में पर्याप्त गरीबी व्याप्त है ।
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ऐसी स्थिति मे गरीबी और भुखमरी और भी बढ़ जायेगी ।
अत: देश की सबसे बडी आवश्यकता परिवार-नियोजन की है । हमे हर स्थिति में जनसख्या की वृद्धि को रोकना पड़ेगा, तभी हम उन्नति कर सकेंगे । देश के नेताओं और योजना आयोग ने इस समस्या को बहुत पहले से पहचान लिया है और हर पंचवर्षीय योजना में परिवार नियोजन को अधिकाधिक महत्त्व दिया जा रहा है । इसके बावजूद भी हम जनसंख्या वृद्धि पर कोई कारगर अकुश लगाने में सफल नहीं हो पाये हैं ।
परिवार-नियोजन का व्यापक कार्यक्रम:
सरकार ने बड़े व्यापक पैमाने पर परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाये हैं । देश के वैज्ञानिकों ने अनेक प्रकार के गर्भ निरोधक उपाय ढूँढ निकाले है । भारत ससार का पहला देश है, जिसने सरकारी स्तर पर परिवार-नियोजन की आवश्यकता को पहचान कर उस पर अमल करना प्रारभ किया है । देशभर मै सभी सचार माध्यमों को परिवार के प्रचार के लिए काम में लाया जा रहा हैं ।
हर डिस्पेंसरी और अस्पताल में अलग से परिवार-नियोजन केन्द्र खोले गये हैं । गांव-गांव में छोटे और सीमित परिवारों के लाभ का व्यापक प्रचार किया जा रहा है तथा गर्भ-निरोधक साधनो की जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है ।
प्रत्येक अस्पताल में पुरुषों और स्त्रियों की नसबन्दी करने के प्रबन्ध किए गए हैं, जिनमे कुशल डॉक्टरों द्वारा ऐसे ऑपरेशन बड़ी सुगमता से किरो जाते है, ताकि परिवार मैं वृद्धि पर स्थायी अंकुश लग जाये । सरकार ऐसे ऑपरेशनों को बढ़ावा देने के लिये कई तरह की आर्थिक सहायता भी प्रदान करती है ।
सबसे बड़ी बाधा अशिक्षा और अंधविश्वास:
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इतने व्यापक प्रचार और विस्तृत कार्यक्रम के बावजूद परिवार नियोजन कार्यक्रम का कोई स्पष्ट प्रभाव नहीं दिखाई देता । शहरी की पढी-लिखी जनता के परिवार तो निश्चित ही सीमित हुए हैं, लेकिन बिना पढ़े-लिखे गरीब मजदूर और ग्रामीण जनता के बीच इनका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है ।
अशिक्षा के कारण लोगों में अंधविश्वास व्याप्त है । वे बच्चो को भगवान् की देन समझते हैं और गर्भ-निरोध के साधनो को भगवान् के काम में बाधा मानते हैं । भारत की लगभग प्रतिशत से भी अधिक जनसख्या गांवो में रहती है ।
जब तक ग्रामीण जनता परिवार-नियोजन नहीं अपनाती, तब तक जनसंख्या समस्या का निदान नहीं हो सकता । देखने में आता है कि गरीब और अशिक्षित व्यक्तियों के परिवार बड़े होते है । उनका विश्वास है, कि संसार में जन्म लेने वाला हर बच्चा अपना भाग्य साथ लेकर आता है ।
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अगर उसका खाने के लिए मुँह होता है तो काम करने के लिए दो हाथ भी होते है । इसलिए वे किसी भी कृत्रिम उपाय को अपनाने से कतराते है ।गरीबों के परिवार छोटे-छोटे गंदे मकानों में रहते हैं । उनके पास मनोरंजन के कोई साधन नहीं होते ।
बच्चे पैदा करना ही उनका मुख्य मनोरंजन होता है । वे बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के बजाय छोटी उम्र से ही किसी-न-किसी काम में लगा कर उसकी आमदनी से परिवार चलाने में सहायता लेने लगते हैं । इससे अशिक्षा दूर होने के बजांय बढ़ती जाती है ।
उपसंहार:
आज देश के सामने सबसे बड़ी आवश्यकता इस बात की है कि हर दम्पत्ति को यह बात साफतौर से समझा दी जाये कि बच्चे भगवान् की देन न मानकर अपनी मर्जी से पैदा किए जायें । जब हम विज्ञान के आविष्कारों से प्रकृति पर तरह-तरह के नियंत्रण को स्वीकार कर चुके हैं, तो इस तथ्य को स्वीकार करने में भी विशेष कठिनाई नहीं होनी चाहिए ।
शिक्षा के द्वारा उन्हें समझाया जा सकता है कि प्राकृतिक वनों के बजाए मनुष्य द्वारा आयोजित उद्यान अधिक उपयोगी और सुन्दर होते हैं । हमें यह समझाना पडेगा कि जब तक बच्चे को हम समुचित शिक्षा, उचित भोजन और बस्त्र देने की स्थिति में न हो, तब तक हमें उसे ससार में नहीं लाना चाहिए ।
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यदि हम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण कर सके, तो हमारे सामने भुखमरी, गरीबी और बेरोजगारी जैसी ज्वलत समस्यायें स्वत. दूर हो जाएंगी । लोगों की आर्थिक दशा में सुधार होकर उनके रहन-सहन का स्तर ऊँचा होगा और भारत एक समृद्ध और खुशहाल देश बन जायेगा ।