मेरी प्रिय पुस्तक पर अनुच्छेद | Paragraph on My Favorite Book in Hindi

प्रस्तावना:

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पुस्तक में अच्छा या बुरा प्रभाव छोड़ने की अनुपम शक्ति होती है । अच्छी पुस्तक मानव का कल्याण करने में बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जबकि खराब पुस्तक या विकृत साहित्य घातक रोग से भी अधिक नुकसान करने में सक्षम होती है ।

मानव इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिनसे यह भली-भाँति सिद्ध हो जाता है कि पुस्तकों द्वारा अनेक राष्ट्रों का उत्थान और पतन हुआ है । महान लेखक रूसो की रचनाओ के फलस्वरूप ही फ्रांस की क्रांति हुई । कार्ल मार्क्स की महान् रचना ‘दारन कैपिटल’ ने संसारव्यापी साम्यवादी आन्दोलन को जन्म दिया । पिछले दो हजार वर्षों से भी अधिक समय से रामायण भारतीय संस्कृति तथा सभ्यता की उद्धारक रही है ।

रामायण ने मुझे सर्वाधिक प्रभावित क्यों किया?

अब तक मैंने जितनी पुस्तकें पड़ी है, उनमें रामायण ने मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया है । इस पुस्तक की अनेक खूबियाँ हैं । यह उपन्यास से भी अधिक रोचक और रोमांचक है । पढ़ने में यह एक साहसिक गाथा लगती है ।

लेकिन इसकी अन्तर्वस्तु इतनी दार्शनिक है कि जीवन-दर्शन का महानतम ग्रन्थ इसके आगे नहीं टिक सकता । यह मनुष्य के परिपालन के लिए पूरी नैतिक-संहिता है । पुस्तक के गेय पद्य इस्ने और भी रोचक बना देते हैं ।

कथा संक्षेप:

रामायण में अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र भगवान् रामचन्द्र का जीवन-वृत्त ‘है । उनके साथ पत्नी सीता व छोटे भाई लक्ष्मण भी जंगल को गए । जगल में उन्होंने अनेक आततायियों का संहार करके ऋषि-मुनियों का सकट दूर किया ।

एक बार धोखे से लंका का राजा रावण सीता को चुरा ले गया । सीता की खोज में उनकी मुलाकात सुग्रीव और हनुमान जैसे बलवान वानरो से हुई । उनकी मदद से भगवान् राम ने लका पर चढ़ाई कर दी और रावण का वध कर दिया । 14 वर्ष बीतने पर वे अपनी पत्नी और भाई के साथ अयोध्या लौट आए ।

रामायण से शिक्षा:

ऊपर की संक्षिप्त कथा से उस ग्रंथ की महानता का पता नहीं लगता । मुख्य कहानी का ताना-बाना अन्य अनेक छोटी घटनाओ से बुना गया है । पुस्तक के वर्णन में बड़े सुन्दर कथोपकथन और वाद-विवाद हैं ।

पुस्तक में जनक और वशिष्ठ जैसे महान् साधु-संतों के सुन्दर उपदेश है । इसके दोहे, छंदो और चौपाइयों का काव्य सौष्ठव अनूठा है । केवल इसी के आधार पर इरने अमर काव्य कहा जा सकता है ।

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अपने नैतिक मूल्यों के कारण ही इस ग्रन्थ पर हिन्दू लोग बड़ी श्रद्धा रखते हैं । यह हमारे सामने कर्त्तव्य और बलिदान के उच्च आदर्श को प्रस्तुत करता है । श्रीरामचन्द्र जी की भाँति यह हमे माता-पिता के प्रति कर्त्तव्यपालन और उनकी आज्ञा मानने की प्रेरणा देता है । अपनी सौतेली मां कैकेयी की इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने वन-गमन स्वीकार किया ।

अपने बड़े भाई की रक्षा, सहायता और सेवा के लिए लक्ष्मण ने अपना समूचा वैभव त्याग कर उनके साथ वन गमन किया । भरत ने अयोध्या का राज सिंहासन लेने से इंकार कर दिया क्योकि, उस पर उनके बड़े भाई राम का अधिकार था । इस तरह इस ग्रंथ से हमें भाई-बहनों के बीच असीम प्यार की शिक्षा मिलती है ।

इसी प्रकार रामायण में एक आदर्श रत्री और आदर्श पत्नी के रूप में सीता की भूमिका है । पति के प्रति पूर्ण समर्पण की ऐसी मिसाल शायद ही कहीं मिले । उन्होंने अपना समूचा ऐश्वर्य और ऐशो-आराम छोड़कर पति के साथ जंगलों में भटकना रचत: स्वीकार किया । रावण के लाख समझाने-बुझाने और डराने-धमकाने से भी वे राम-विमुख नहीं हुईं ।

रामायण में सेवक और स्वामी के आदर्श संबंधों का भी बड़ा सुन्दर विवेचन है । हनुमान को एक आदर्श सेवक के रूप में प्रस्तुत किया गया है । इस तरह रामायण से सामाजिक जीवन के नैतिक आदर्श सीखे जा सकते हैं ।

उपसंहार:

रामायण प्राचीन भारत के लोगों के जीवन की जानकारी देती है । यह पुस्तक प्रारम्भ से ही भारतीय लोगों को प्रेरणा देती रही है और हमें राम राज्य के समय के सच्चाई और न्याय के उच्चादर्शों पर चलने के लिए आगे भी प्रेरित करती रहेगी ।

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