रेलों की टक्कर पर अनुच्छेद | Paragraph on A Railway Collision in Hindi
प्रस्तावना:
पिछले वर्ष मैं देहरादून एक्सप्रेस से अपने चचेरे भाई की शादी में भाग लेने के लिए लखनऊ की यात्रा पर निकला । हरदोई और लखनऊ के बीच ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार से धड़धड़ाती हुई चल रही थी ।
सुबह का झुटपुटा हो चला था । अधिकतर यात्री अभी तक सो रहे थे । मुझे ट्रेन में भली-भाँति नींद नहीं आती । अत: सारी रात मैंने अर्द्धसुप्तावस्था में बिता दी थी और सुबह के झुटपुटे को देख अपनी सीट पर उठ बैठा ।
भीषण हचकोला:
एकाएक ट्रेन के डिब्बे जोर से हिकोले खाने लगे । सारे यात्री अपनी सीटो से धक्का खाकर नीचे लुढ़क पड़े । मैं भी लुढ़ककर दूसरे यात्रियों पर गिर गया और मेरे ऊपर अन्य कई यात्री लद गए । इसके बाद आगे की ओर ट्रेन उछली और एक भीषण धक्के के साथ रुक गई ।
ADVERTISEMENTS:
हम लोगों की कुछ समझ मे नहीं आया । इतनी ही देर में आगे के डिबों से यात्रियों की भयकर चीखें और कराहटे सुनाई पड़ने लगीं । जल्दी हमें ज्ञात हो गया कि हमारी ट्रेन की उसी पटरी पर सामने से आती हुई एक मालगाडी से उसकी भयानक टक्कर हो गई थी ।
टक्कर का कारण:
यह टक्कर स्टेशन की इमारत से थोड़ी ही दूरी पर हुई । सिंगनल देने वाले आदमी ने दोनों ही ट्रेनों को एक ही पटरी पर आने का सिगनल दे देने की भयकर भूल कर दी थी । संभवत: वह रातभर जागने के कारण ऊघ गया होगा । दोनों ही हेलनों के ड्राइवरों ने सिगनल की गलती भांप ली थी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।
दोनों ने अपनी-अपनी ट्रेन रोकने की पूरी कोशिश की, लेकिन इजन रुक न पाये । उनके सामने मौत नाच उठी । दोनों ही ड्राइवर जान बचाने के लिए ऐन वक्त पर इंजन से कूद गए और यात्रियों को उनके भाग्य के सहारे छोड़ दिया । दोनों ही ट्रेनों में कुछ दूर पर भिड़त हो गई ।
ट्रेन के डिब्बे और यात्रियों की स्थिति:
यह बड़ी भीषण टक्कर थी । सौभाग्य से मैं पीछे के डिब्बे में था । मुझे केवल हल्की-सी खरोंचे आई थीं । मैं किसी तरह डिब्बे से बाहर निकला और इंजन की ओर भाग पडा । दोनों इजन एक-दूसरे में घुसे हुए पटरियों से अलग लुढ़क पड़े थे । इंजिन के पीछे के चार डब्बे एकदम चकनाचूर हो गए थे । हमारी ट्रेन के कुछ डिब्बे पटरी से उतर गए थे, लेकिन सौभाग्यवश वे उलटे नहीं थे ।
यहीं का दृश्य बड़ा वीभत्स और डरावना था । कई लोग घटनास्थल पर ही मर चुके थे । अनेक लोग डिब्बे के मलवे में दबे हुए थे । जिन्हें होश था, वे सहायता के लिए चीख-पुकार मचा रहे थे । किसी का हाथ टूटा था, तो किसी का पैर ।
एक महिला का कुचला हुआ सिर देखकर मेरे मुँह से चीख निकल पडी । वह मर चुकी थी । यहॉ-वहीं अनेक घायल और मृत बिखरे पड़े थे । चारों ओर खून-ही-खून दिखाई दे रहा था । मैंने एक-आध फंसे लोगों को मलवे से चीख कर बाहर निकालने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहा ।
आग का फैसला:
ADVERTISEMENTS:
यात्रियों का सामान भी चारो ओर बिखरा पड़ा था । इंजिन से जले कोयले भी बिखरे गए थे । हवा चल रही थी । इतने में मुझे आग दिखाई दी । आनन-फानन में लपटे ऊँची उठने लगीं । अब घायलों की दर्दनाक चीख बरदाश्त के बाहर हो गई । आग तेजी से आगे बढ़ने लगी और उसने एक डिब्बे को पूरी तरह भरम कर दिया ।
सहायता के उपाय:
इस भयंकर टक्कर से सभी स्टेशन अधिकारी हक्के-बक्के रह गए । वह एक छोटा-सा रटेशन था । स्टेशन मास्टर ने अपना समूचा रटाफ फंसे हुए घायलों को निकालने के लिए रवाना कर दिया और आगे के स्टेशन को सूचना दे दी ।
ADVERTISEMENTS:
लगभग आधे घंटे बाद एक सहायता टोली घटना-रथल पर पहुंची । थोड़ी देर बाद डॉक्टरों का एक दल चिकित्सा सामग्री तथा एक सहायता गाड़ी आ गई । स्टेशन स्टाफ ने आग बुझा दी थी । लोगों ने मलवे में फंसे यात्रियों को बाहर निकाला और डॉक्टरों ने उनके घावों की मरहम-पट्टी करना प्रारम्भ कर दी ।
कुछ यात्रियों को बड़ी मुश्किल से खींचकर निकालना पडा । अभी भी कुछ यात्री सीटों के बीच में और डिब्बों की छतों के नीचे दबे हुए थे । क्रेन से तथा बिजली की आरियों की सहायता से सीट और छते काट-काटकर तथा क्रेन से टूटे डब्बे के भारी मलवे को उठाकर घायलों को बाहर निकाला गया । शवों को परीक्षण के बाद उन्हें एक ओर रख दिया गया ।
बड़ा करुणा दृश्य था । कई समूचे परिवार आग में जल गए थे । उनमें से केवल एक अकेला छोटा बच्चा ही जीवित निकल पाया । किसी की मां मर गई थी तो किसी का बाप । अनेक बच्चे भी मर गए थे । उनके मा-बाप बिलख रहे थे ।
एक नव-विवाहित दम्पत्ति यात्रा करा रहा था । विवाह का जोडा पहने पत्नी बिलख रही थी । उसका पति दुर्घटना मे मर चुका था । इस काम में कई घटे लग गए । घायलों और मृत शवों को लेकर सहायता गाड़ी लखनऊ स्टेशन रवाना हुई । शेष यात्री भी उसी गाडी से आगे की यात्री पर चल पड़े । सहायता कार्य में पास के ग्रामीणों ने भी बड़ी सहायता की ।
उपसंहार:
रेलों की टक्कर बडी दुर्भाग्यपूर्ण घटना है । इस दृश्य की कल्पना से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं । अक्सर ये दुर्घटनाएँ किसी-न-किसी रेलवे कर्मचारी की लापरवाही से होती हैं ।