सरकस का एक शो पर अनुच्छेद | Paragraph on A Visit to a Circus Show in Hindi
प्रस्तावना:
पिछले वर्ष हमारे शहर में बडी प्रसिद्ध सरकस कम्पनी ने डेरा डाला । एक बड़े मैदान में कम्पनी ने विशाल तम्बू लगाये । कुछ दिनों तैयारी के बाद उन्होंने बड़े धूमधाम से अपने प्रदर्शन का ऐलान किया । पहले हफ्ते दर्शकों की बड़ी भीड़ रही ।
दूर-दूर के गांवो से तस मशहूर कम्पनी का सरकस देखने के लिए बड़ी समस्या में लोग आने लगे । भीड़ को देखकर मेरा भी मन सरकस देखने को हो आया । सरकस के लिए प्रस्थान: मैं अपने मां-बाप की इजाजत लेकर अपनी बहन लता तथा भाई रवि के साथ शाम का सरकस शो देखने निकला ।
सरकस की टिकट खिड़की पर लम्बी लाइन लगी हुई थी । शो शुरू होने में थोडी ही देर थी । मुझे ऐसा लगा कि लाइन में लगने से मुझे टिकट नहीं मिल पायेंगे । तभी मेरी बहन को एक अलग से विद्यार्थियो की खिडकी दिख गई । उसने मुझे बताया । हम लोग अपने परिचयपत्र साथ लिए थे ।
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विद्यार्थियों के लिए टिकट-दर में रियायत थी । हम बड़े खुश हुए और विद्यार्थियों की खिड़की पर पहुंचे । वही लाइन मैं केवल 5-6 विद्यार्थी थे । मेरा नम्बर बड़ी जल्दी आ गया । हमने प्रथम श्रेणी के टिकट लिए और सरकस के खेमे में प्रविष्ट हुए ।
सरकस का पण्डाल:
सरकस का पण्डाल बड़ा विशाल था । अदर घुसते ही हमें सिंहों की तेज दहाड़ सुनाई दी । हमने डर कर इधर-उधर देखा । आवाज दूर सिंहों के पिंजड़ों से आ रही थी । सरकस के विशाल पण्डाल ने हमारे शहर का आधे से अधिक रामलीला मैदान घेर रखा था ।
उसमे प्रकाश का बड़ा अच्छा इन्तजाम था । धीरे-धीरे दर्शकों से पण्डाल भरने लगा । ऊंचे दर्जे के दर्शको के लिए कुर्सियों लगी हुई थी और साधारण श्रेणी के लिए बेंचे थीं । हम लोग प्रथम श्रेणी में आगे की पंक्ति में बैठ गए । यहाँ की कुर्सियाँ बड़ी आरामदेह थीं ।
शो का प्रारम्भ:
थोड़ी देर मे घंटी बजी । उस समय ठीक सात बजे थे । सरकस का पहला आइटम छोटी-छोटी लड़कियों का नाच था । वे रंग-विरंगी पोशाकों में बड़ी सुन्दर लग रही थीं । हम लोग उनके नाच क्रो देखकर बड़े खुश हुए । इसके बाद घुडसवारों का प्रदर्शन था ।
सरकस के गोल घेरे में दस घोड़े चक्कर लगाने लगे । बीच में मधुर बैण्ड बज रहा था । घोड़े बिना सवासे के चक्कर लगा चुके । घुडसवार उनकी रास पकड़े बीच में था । इसके बाद चलते घोडों पर एक-एक करके सभी घुड़सवार चढ़ गए । उन्होंने घोडों पर अनेक आकर्षक कलाबाजियाँ दिखाईं ।
एक साथ सभी घुड़सवार घोडों पर सिर के बल खडे हो गए । फिर कूद कर वे सीधे हो गए । इसके बाद घोड़ों की गर्दन पकड कर लटक गए । फिर वे पैरों को घोड़ों कीं काठी मे फसा कर उनके पेट से चिपक गए । इस तरह अनेक आश्चर्यजनक करतब दिखाकर घोड़े लौटे गए । हम सभी ने बड़े जोर से तालियां बजाकर उनकी प्रशंसा की ।
जोकर के करतब और कसरतों का प्रदर्शन:
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अब दो जोकर आ गए । उन्होंने बड़ी अजीबो-गरीब हरकतों से दर्शकों को खूब हंसाया । थोड़ी देर के बाद कुछ लड़कियों ने कसरतों के आश्चर्यजनक प्रदर्शन दिखाये ।
हाथी और सिंहों का प्रदर्शन:
इसके बाद एक हाथी आया । वह एक बड़े स्टूल पर चारों पैर टिका कर खड़ा हो गया और उसने सूंड उठाकर दर्शकों का अभिनन्दन किया । हाथने ने पिछले दो पैरो से चलकर दिखाया; अपनी सूंड से जलती मशाल लिए उसके घेरे का चक्कर लगाया ।
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हाथी के प्रदर्शन के साथ ही कुछ शेर आ गए । रिंग मास्टर के हाथ में एक लम्बा सोटा था, जिसे वह जमीन पर पटक कर शेरों को आदेश दे रहा था । एक शेर कूद कर हाथी को पीठ पर सवार हो गया और हाथी उसे लिए चक्कर लगाने लगा । कुछ देर में बकरी दिखाई दी । अब एके ही नाद मे शेर और बकरी पानी पीते दिखाए गए । कुछ बच्चे शर को देख डर से चीखने लगे ।
सिंह का प्रदर्शन:
अब सिंहों के प्रदर्शन की बारी थी । एक जलती हुई रिग के बीच से सिंह कूद गया । रिंग मास्टर ने शेर को स्टूल पर खड़ा करके उसका मुंह खुलवाया और अपना सिर उसके मुंह में दे दिया । इस खतरनाक प्रदर्शन को हम सब ने साँस रोक कर देखा । रिग मास्टर के सिर बाहर निकालने पर बड़े जोर से तालियाँ बजीं । कितना खतरनाक प्रदर्शन था ?
रस्सी पर साइकिल चलाना:
इसके बाद कुछ लड़कियों ने रस्सी पर साईकिल चलाने का बड़ा अद्भुत प्रदर्शन दिखाया । हाथ में एक लम्बा डंडा लिए कई बार उसने रस्सी पर इधर से उधर चक्कर लगाया । बाद में अपने कंधों पर एक छोटी लड़की को सवार करके साइकिल चलाई ।
अन्तिम आइटम:
सरकस का अन्तिम आइटम झूलों का था । कई लड़कों और लड़कियों ने हवा में झूलते-झूलते अपने झूले बदले । एक झूले पर एक आदमी पैरों से उल्टा लटक गया और झूलते हुए दूसरे झूले से कूदती एक लड़की को पकड़ लिया । दो-एक झोंको के बाद वह लडकी पुन: अपने झूले पर वापस कूद गई । हवा में झलते-कूदते लोगों ने बड़ी अद्भूत कलाबाजियाँ दिखाईं ।
उपसंहार:
ठीक पौने दस बजे शो समाप्त हो गया । हम तीनों सरकस की आश्चर्यजनक कलाबाजियों और प्रदर्शन की चर्चा करते हुए घर लौटे आए ।