सड़क पर हुई हाथापाई पर अनुच्छेद | Paragraph on A Street Quarrel in Hindi

प्रस्तावना:

मेरी मां ने मुझे बाजार से कुछ सामान लाने को कहा । मैं अपनी साइकिल उठाकर सामान लाने चल दिया ।

झगड़े का कारण:

जब मैं गंगाराम स्ट्रीट से गुजर रहा था, तो मैंने देखा कि सामने से एक मेरी उम्र का लड़का तेजी से साइकिल चलाता हुआ आ रहा था । उस समय सडक लगभग खाली था । जैसे ही वह साइकिल वाला प्राइमरी स्कूल के पास से गुजर रहा था, एक मकानें से 5-6 वर्ष का एक लड़का एकदम सड़क पर आ निकला और मेरे सामने वाली साइकिल के सामने कुछ दूरी पर गिर पड़ा ।

मैंने अपनी साइकिल में जोर से ब्रेक लगाये और वह झटके के साथ रुक गई । सामने वाला साइकिल सवार बड़ी तेजी से आ रहा था और संभवत: उसके ब्रेक ठीक भी नहीं थे । वह साइकिल एकदम रोक नहीं पाया और लड़के को बचाने के लिए उसने एकदम दाहिनी ओर मोड़ दिया और बडी तेजी मेरी खड़ी हुई साइकिल से टकरा गया ।

टक्कर इतनी जोर से लगी कि मेरी साइकिल सड़क पर दूर जा गिरी और उसके हेन्डिल के दो टुकड़े हो गए । मुझे बड़ा गुस्सा आया, क्योंकि में अपनी ठीक दिशा में साइकिल चला रहा था, जबकि वह गलत दिशा में था ।

मारपीट की नौबत:

मैंने उन सज्जन को उनकी गलती का एहसास कराना चाहा कि वे बडी तेज रफतार से आ रहे थे और उनके ब्रेक भी सभवत ठीक नहीं थे, इसलिए वे साइकिल रोक नहीं पाये । मैने बड़े जोर से इस बात को कहा क्योंकि मेरी साइकिल टूट गई थी ।

मैंने उन्हें बुरा-भला भी कहा । उस व्यक्ति को अपनी गलती का कोई अहसास नहीं हुआ और उसने किसी प्रकार का खेद तक व्यक्त नहीं किया । उसने मुझे गालियाँ देनी शुरू कर दीं और मारने की धमकी दी । उसकी गालियाँ मुझसे बरदाश्त नहीं हुईं ।

मैंने भी बदले में उसे गालियाँ सुनाईं । कुछ देर गालियों की बौछार के बाद हाथ उठने की नौबत आई । उसने मुझे जोर से एक थप्पड मार दिया । मैंने भी उस पर खूब घूरने बरसाये । मारपीट बढ़ती गई और स्थिति गभीर होती दिखाई थी । हमारे चारो ओर भीड़ इकट्‌ठी होने लगी । वे सभी तमाशा देख रहे थे । कुछ मेरा पक्ष ले रहे थे, तो कुछ अन्य उसका ।

ADVERTISEMENTS:

उसने एकाएक मुझे दोनों हाथों से ऊपर उठाकर जमीन पर पटक दिया । मैंने हिम्मत नहीं हारी । मेरी आँखों में खून उतर आया । मैंने उस पर बड़ी तेजी से जगह-जगह घूरने बरसाने शुरू कर दिए । अब कुछ लोगों ने बीच-बचाव करने की कोशिश की ।

ADVERTISEMENTS:

लेकिन हम दोनों की एक न सुनी और बीच-बचाव करने वालों को यह कहकर झिड़क दिया कि वे हम दोनों के आपसी मामले में दखल देने वाले कौन होते हैं । ऐसा सुनकर सभी अलग हट कर तमाशा देखते रहे । हमारे कपड़े फट चुके थे और कई जगहों से खून झलकने लगा था ।

पुलिस वाले का आना:

इतनी देर में उस स्थान पर एक पुलिस वाला आ गया । उसने हम दोनों के बाल पकड़कर अलग-अलग किया और पुलिस-स्टेशन ले गया । अब हम दोनों ने अपनी-अपनी गलती महसूस की । लेकिन पुलिस हमे इतनी आसानी से कही छोडने वाली थी । उन्होंने हमें हवालात में बन्द कर दिया ।

हम दोनों मन-ही-मन खूब डर रहे थे कि हमारे घर वाले यह जानकर बड़े दुखी और नाराज होंगे । पर किया क्या जा सकता था । हमारे घर वालों को खबर की गई । दोनों के घर वाले वही आए उनकी जमानत पर हमें रिहा किया गया । हमने थाने में लिखित माफीनामा पेश किया । थाने से बाहर आते समय दोनो के मुँह शर्म से लटके हुए थे ।

उपसंहार:

उस दिन से मेंने प्रण कर लिया कि मैं आइन्दा किसी ऐसी हाथापाई में नहीं पड़ेगा, चाहे दूसरे आदमी की ही सारी गलती क्यो न हो । सड़क पर हाथापाई शरीफों का काम नहीं है ।

Home››Paragraphs››