अनिवार्य सैनिक शिक्षा पर अनुच्छेद | Paragraph on Compulsory Military Training in Hindi
प्रस्तावना:
हाल में कुछ घटनाओं ने इस विचार को पुन: जन्म दे दिया है कि क्या भारत के हर नागरिक के लिए सैनिक शिक्षा अनिवार्य कर देनी चाहिए । भारत के नेताओं को 1962,1965 और 1971 में हुए हमलों के कारण बार-बार इस समस्या पर विचार करने को मजबूर किया है ।
अनिवार्य सैनिक शिक्षा की आवश्यकता:
सैनिक शिक्षा कई दृष्टियों से उपयोगी और जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण होती है । इससे लोगों में अनुशासन आता है । इससे सेवा, त्याग, बलिदान और निष्ठा जैसे महान् गुणों को बढ़ावा मिलता है और साथ ही आवश्यकता पड़ने पर देश को विदेशी हमलों से बचाने के लिए प्रशिक्षित सैनिक उपलब्ध हो जाते हैं ।
सैनिक प्रशिक्षण से लोग शारीरिक दृष्टि से चुरत बने रहते हैं, उनका दृष्टिकोण व्यापक होता है, उनमे एकता की भावना आती है और देश के प्रति निष्ठा पैदा होती है । सैनिक शिक्षा को अनिवार्य बनाकर हमें निष्ठावान युवाओं की एक ऐसी फौज मिल जायेगी जो आवश्यकता पड़ने पर दुश्मन के विरुद्ध अजेय चट्टान तो होगी ही, शांति के समय अनेक प्रकार के आतंकवाद, हिंसा, महामारी, आदि को रोकने तथा आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक क्रांतियों को लाने में भी योगदान कर सकेगी ।
सैनिक शिक्षा से हमारे सामान्य जीवन में भी अनेक लाभ होंगे । इससे लोगों को आदेश देना और हुक्म मानना दोनों ही आ जाता है । इसमें यह भी सिखाया जाता है कि व्यापक हितों के लिए निजी स्वार्थ पर ध्यान न दिया जाये । सिपाही के लिए कर्त्तव्य-पालन रोटी से अधिक महत्त्व का होता है । इससे त्याग और बलिदान की भावना पैदा होती है ।
ADVERTISEMENTS:
यदि भारत के सभी युवाओं को अनिवार्य रूप से सैनिक शिक्षा दे दी जाये, तो देश में व्याप्त अनेक बुराइयों से एक साथ छुटकारा मिल जायेगा, क्योकि इसके द्वारा लोगों में ऐसे से गुणो का विकास होगा, जिससे अनेक समस्यायें स्वत: हल हो जायेंगी ।
इससे लोगों में टीम भावना आयेगी श्रम के प्रति आदर की भावना पैदा होगी कर्त्तव्य-बोध होगा और उनके चरित्र का विकास होगा । देश की प्रगति के लिए इन अनिवार्य सदगुणों का विकास सैन्य शिक्षा के द्वारा ही हो सकता है ।
सैनिक शिक्षा प्राप्त युवाओं को दैवी विपति में बचाव कार्यां के लिए भी बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है । आग से हुई दुर्घटना में, बाढ़ और सूखा राहत कार्यो में और दंगों के दौरान भी इनका सफल उपयोग किया जा सकता है । इस तरह कई प्रकार के अर्द्धसैनिक बलों जैसे केन्द्रीय रिजर्व पुलिस, बी.एस.एफ. आदि पर व्यय होने वाली धनराशि में भी काफी बचत की जा सकेगी ।
उपसंहार:
अनिवार्य रूप से सार्वजनिक सैनिक प्रशिक्षण पर बहुत बड़ी धनराशि व्यय करनी पड़ेगी । इसकी व्यवस्था भी आसान नहीं होगी । लेकिन इससे होने वाले असीमित लाभों के देखते हुए आवश्यक है कि धीरे-धीरे करके हम इस व्यवस्था को समूचे देश के लिए लागू कर दें ।
ADVERTISEMENTS:
इससे निश्चय ही आम लोगों के मन में व्यक्तिगत, दलगत और संकीर्ण धार्मिक कट्टरवाद से ऊपर उठ कर समाज और राष्ट्र हित पर ध्यान देने को बढ़ावा मिलेगा और अन्तत: देश खुशहाल हो जायेगा ।