अमरनाथ की पैदल यात्रा पर अनुच्छेद | Paragraph on A Pilgrimage to Amarnath in Hindi

प्रस्तावना:

अमरनाथ का मन्दिर हिमालय पर्वत पर बड़ी ऊँचाई पर स्थित है । यहीं की यात्रा बरसात की समाप्ति पर की जाती है । पिछले वर्ष अक्तूबर के महीने में हमें लोगों ने अमरनाथ की पैदल तीर्थ यात्रा करने का निर्णय किया ।

ADVERTISEMENTS:

हम पाँच मित्र थे । हम रेल द्वारा जन्तु गए और वही से बस द्वारा श्रीनगर होते हुए पहलगाँव पहुँचे । पहलगाँव श्रीनगर से लगभग 90 किलोमीटर दूर है । हमे यहीं से प्रातकाल अमरनाथ की पैदल यात्रा प्रारम्भ करनी थी ।

यात्रा की तैयारी:

शाम के समय पहलगाँव पहुँच कर हम एक यूथ हॉस्टल में रुके । यही सामान रखकर हमने अपने सामान के लिए दो टट्‌टुओं तथा एक मार्गदर्शक का प्रबन्ध किया । वहीं हमें दो अन्य यात्री भी मिले, जो अमरनाथ जाने वाले थे । हमने उन्हें भी साथ ले लिया और प्रात काल अरमनाथ की पवित्र गुफा के दर्शनो के लिए पैदल निकल पड़े ।

यात्रा का प्रारम्भ:

यात्रा के प्रारम्भ मे कुछ दूर तक हमे घने जगल से गुजरना पड़ा । रास्ता टेढ़ा-मेढ़ा और सकल था । हाथ से झाडियों और वृक्षों की शाखाओं को हटाते हुए हम प्राकृतिक दृश्यों का आनन्द लेते हुए आगे बढ़ते रहे । चढ़ाई भी खड़ी थी ।

अत: हम लोग बड़े धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे । इसी बीच हम पिस्सू घाटी तक पहुंच गये । यह स्थान पहलगाँव से लगभग 15 किलोमीटर दूर है । अब हमारे सामने नगा पर्वत की सीधी चढ़ाई थी । यह रास्ता फिसलना भी था ।

अत: हम बहुत संभल कर चढ़ रहे थे । थोड़ी-थोड़ी देर बाद हम सांस लेने को रुकते हुए आगे बढ़ते रहे । अन्त में हम शेष नाग झील के किनारे पहुँच गए । शेष नाग पहुंचते-पहुंचते दोपहर बीत चुकी थी और हम सब थक भी चुके थे । हमें रात यहीं गुजारनी थी ।

हम लोग एक रेस्ट हाउस में पहुच गए । कुछ देर आराम करके हमने चाय पी और तरोताजा होकर आरन-पास के दृश्य देखने निकल गए । शाम को रेस्ट हाउस वापस आकर हमने खाना बनाया और खाना खाकर सो गए । रात को तीन घंटे तक बरफ पड़ती रही । सनसनाती हुई हवा खिड़कियों और दरवाजों थपेड़े मार रही थीं । सुबह उठकर हमने देखा कि ठंड बहुत बढ़ गई थी । तापक्रम निश्चय ही शून्य से भी नीचे चला गया होगा ।

रात हमने ब आनन्द से गुजारी । सुबह होने पर चमकता सूरज देखकर हम सब खिल उठे । थोड़ी ही देर में मौसम साफ हो गया और हम सबने आगे बढ़ने का फैसला कर लिया । शेष नाग से निकल कर काफी दूर तक हमें घुटनों तक बर्फ में चलना पड़ा । बर्फ से पैर निकाल कर आगे बढने में बड़ी मेहनत लग रही थी और हमारी रफ्तार बहुत ही कम थी । टट्‌टू भी कठिनाई से आगे बढ़ रहे थे ।

एक स्थान पर तो उन्होंने आगे बढ़ने से इकार कर दिया, क्योंकि उन्हें डर था कि उनके पशु बीमार न पड़ जायें । हमने बड़ी मुश्किल से उन्हें समझाया और कुछ अधिक रुपये देने का वादा किया, तभी वे आगे जाने को तैयार हुए । धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए हम दोपहर तक पंचतरणी पहुँच गए । यही पहुंचते ही आसमान पर काले-काले बादल छा गए । एकाएक चारों तरफ अंधेरा छाने लगा । दोपहर को शाम का सा दृश्य दिखाई देने लगा ।

ADVERTISEMENTS:

ADVERTISEMENTS:

घनघोर घटाओं को देखकर एक बार तो हम सब हिम्मत छोड़ बैठे और सोचने लगे कि उस दिन वहीं रुक कर अगले दिन यात्रा प्रारम्भ की जाये । सम्भावित घनघोर वर्षा ने हमे बहुत डरा दिया था, लेकिन अन्त में हम लोगों ने हिम्मत से काम लिया और आगे बढ़ने का फैसला किया ।

मंजिल पर पहुँचना:

हिम्मत और वर्षा के संभावित खतरे ने हमारे पर लगा दिए और हम बड़ी तेजी से आगे बढ़ने लगे । हम इस बीच कई दर्रे और बर्फ से ढ़की पहाडियाँ पार करते रहे । बर्फ के पिघलने से इन पहाडियों पर बड़ी फिसलन थी, इसलिए हमे खूब जमा कर पैर रखते हुए आगे बढ़ना पड़ रहा था ।

अंतत: दूर से अमरनाथ मंदिर की चोटी दिखाई देने लगी । मंदिर की चोटी देखकर हम सभी हर्ष से नाच उठे । अमरनाथ की पवित्र गुफा बड़ी चित्ताकर्षक लग रही थी । इसकी भव्यता ने हम सबको बड़ा प्रभावित किया । हम आपस में इसकी सुन्दरता और भव्यता का गुणगान करते रहे ।

हमने वे सभी गुफायें और स्थान देखे, जहाँ भगवान शकर ने कभी घोर तपस्या की थी । हम उन्हें देख कर व बरफ के शिवलिंग का दर्शन कर बड़े प्रसन्न हुए । क्या मनोहारी दृश्य था ? हम जीवनभर इस यात्रा को न भुला पायेंगे ।

उपसंहार:

अमरनाथ जी के मन्दिर से हमें पैदल ही वापस लौटना था । लौटने की यात्रा भी उतनी ही खतरनाक और रोमाँचक थी । हमारी यात्रा सकुशल पूरी हो गई और पाँच दिन बाद हम पुन. पहलगांव लौट आए ।

Home››Paragraphs››