तूफान की आत्मकथा पर अनुच्छेद | Paragraph on An Autobiography of the Storm in Hindi

प्रस्तावना:

सभी मुझ से भली-भांति परिचित हैं और मेरा नाम जानते एं है । अधिकांश लोग मेरे नाम से ही डर जाते हैं । ईश्वर की समूची सृष्टि, बड़े-से-बड़े शक्तिशाली पशु से लेकर सूक्ष्मतम कीट तक, हिमालय के विशाल पर्वतो से लेकर हरे-भरे मैदान और महासागर आदि सभी को कभी-न-कभी मेरी विशाल शक्ति का सामना करना पड़ता है ।

मुझे साधारण तौर पर तूफान के नाम से जाना जाता है । लेकिन मेरे कई अन्य नाम भी हैं जैसे ऑधी, अंधड, बवण्डर, चक्रवात आदि । मेरे रोष और प्रचण्डता के अनुसार मुझे लोग इन अलग-अलग नामों रने पुकारते हैं ।

मेरा जन्म:

मैं अपनी कहानी जन्म से ही प्रारंभ करूँ तो ठीक रहेगा । मैं वातावरण का शिशु हू । रपूर्य मेरे जन्म का कारण है, इसलिए मैं उसे अपना पिता मानता हूँ । वायु मेरी जननी है । मैं समानता और न्याय का पुजारी हूँ । जहा कहीं मुझे वातावरण में अनुचित असमानता दिखाई दे जाती है, मैं तत्काल देह धारण कर उसी ओर तेजी से दौड़ पडता हूं और असमानता को दूर कर गायब हो जाता हूं ।

सूरज की तेज गर्मी से जब मेरी माँ वायु उसकी ओर अधिक आकर्षित हो जाती है, तो उस क्षेत्र में कुछ शून्यता आ जाती है और वायुमण्डल में दबाव की असमानता पैदा हो जाती है । दबाव की इस असमानता को दूर करने के लिए मैं फौरन शरीर धारण करता हूं ।

मेरा जीवन:

मैं बड़ा न्यायप्रिय हूँ । मैं वायुमण्डल में जरा-सी देर के लिए असमानता बरदाश्त नहीं कर सकता । मनुष्य मेरे विकराल स्वरूप को देखकर व्यर्थ में डरते हैं । यदि वे ठडे दिमाग से मेरी बात समझे, तो उनके हृदय में भी न्याय और समानता का सचार होगा और संसार की असमानतायें दूर होकर सभी लोग शांत और सुखी जीवन बिता सकेंगे ।

मेरी गति कभी-कभी इतनी अधिक होती है कि मनुष्य सोच भी नहीं सकता । वायुमण्डल में समानता स्थापित करने के लिए मैं अपना अस्तित्व तक भूल बैठता हूँ । ऐसा करने के प्रयास में जो भी मेरे मार्ग में रुकावट डालता है, मै सभी को नष्ट करके अपने कर्त्तव्य को जल्दी-से-जल्दी पूरा कर देता हूँ ।

शांति और समानता की स्थापना के लिए कभी-कभी मुझे बहुत कुछ नष्ट करना पडता है । मैं किसी का ख्याल नहीं करता । जब मैं अधिक कुपित होकर चक्रवात का रूप धारण कर लेता हूँ तो मेरे सामने कोई भी ताकत नहीं ठहर पाती ।

ADVERTISEMENTS:

मैं विशालतम वृक्षो को जड से उखाड़ कर धराशायी कर देता हूँ । समुद्र की छाती पर उतराते विशाल जलयानो को कागज की नाव की तरह उछाल कर पानी में डुबा देता हूं और बड़ी-बड़ी इमारतों तक को तहस-नहस कर डालता हूँ । मनुष्य की बनाई गई कोई वस्तु मेरी अपार शक्ति के सामने नहीं टिक पाती ।

ADVERTISEMENTS:

मैं उन मनुष्यों के अहकार पर अहसास करता हूँ जो बड़े गर्व से प्रकृति पर विजय का दावा करते है । मेरा विकराल रूप देखकर उन्हें अपने सृजनकर्ता ईश्वर का ध्यान आ जाता है । इस प्रकार मैं कभी-कभी मानव के अहंकार को दूर करके उन्हें होश में ले आता हूँ ।

मानवता का कल्याण:

यों तो मुझे सभी विनाशकारी समझते हैं, पर वास्तव में मैं मानवता का सही दृष्टि से कल्याण करता हूँ । मैं मनुष्य मात्र का असली दोस्त हूँ । मैं उनकी सच्ची सेवा करता हूँ जिसे अज्ञान के कारण मनुष्य नहीं समझ पाता ।

रोगाणुओं के रूप में इस पृथ्वी पर मनुष्य के अनेक जानी-दुश्मन हैं । मैं अपनी प्रचण्डता से इन सभी को नष्ट करके मानवता की सच्ची सेवा करता हूँ । मैं वायु भी शुद्ध करता हूँ और तरह-तरह की गंदगी अपने साथ उड़ा ले जाता हूँ । मैं असमानता दूर कर मानव मात्र को नया संदेश देता हूं । यदि वे मेरा अनुसरण करें, तो सभी का कल्याण होगा ।

उपसंहार:

अत में मैं इतना अवश्य कहूँगा कि ससार में कोई भी वस्तु ऐसी नहीं है, जिसमें सभी-कुछ अच्छा अथवा सभी-कुछ बुरा हो । अत: मनुष्य की दृष्टि में मुझ में कुछ बुराइयाँ भी हो सकती हैं । लेकिन निर्माण के लिए विनाश भी आवश्यक होता है । मेरी तुलना भगवान शंकर से की जा सकती है, जो नवनिर्माण के लिए संहार करते हैं । अत: मनुष्यों से मेरा अनुरोध है कि वे मुझे घृणा की दृष्टि से न देखें ।

Home››Paragraphs››