मेरे स्कूल की मध्यान्तर छुट्टी पर अनुच्छेद | Paragraph on Recess at My School in Hindi
प्रस्तावना:
मध्यांतर छुट्टी का समय स्कूल अवधि के लगभग बीच में होता है । इसका उद्देश्य अध्यापकों तथा विद्यार्थियों को अपने मानसिक और शारीरिक रूप से पुन: तरोताजा करने के लिए कुछ समय प्रदान करना है ।
मध्यांतर छुट्टी के पूर्व विद्याथी कैसे ऊब जाते हैं ?
कभी-कभी मध्यान्तर की छुट्टी होने से पूर्व विद्यार्थी ऊबने लगते है । वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पाते । वे अध्यापक की बातों को ठीक से समझ नहीं पाते । वे पढाई से उकता जाते हैं । ऐसी अवस्था में वे बड़ी बेसब्री से मध्यातर छुट्टी की प्रतीक्षा करते हैं ।
कुछ शरारती लड़के स्कूल के चपरासी के पास जाकर उसे समय से पहले ही घंटी बजाने का अनुरोध करते हैं । इन सबसे लात होता है कि मध्यांतर छुट्टी की बड़ी जरूरत होती है ।
मध्यांतर छुट्टी शुरु होने का दृश्य:
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जैसे मध्यान्तर छुट्टी की घंटी बजती है, सभी विद्यार्थी अपनी-अपनी किताब-कॉपियां बन्द करके बस्ते में रख लेते हैं और सभी कक्षा के बाहर निकल आते है । उनके इस काम से कभी-कभी अध्यापक नाराज हो जाते हैं, लेकिन विद्यार्थियों का इसमें कोई वश नहीं होता । वे कुछ समय के लिए मुक्त होना चाहते हैं । वे कुछ समय के लिए कक्षा के उबाऊ वातावरण से दूर रहना चाहते हैं ।
छुट्टी के दौरान का दृश्य:
कक्षा से निकलने के बाद विद्यार्थी अपने-अपने ढंग से आराम करते हैं । अमीर परिवार के बालक माता-पिता द्वारा भेजी गई मिठाई, फल या दूध आदि खाते-पीते हैं । सामान्य परिवारों के बालक फेरी वालों से कुछ वस्तुएं खरीद कर खाते हैं । मध्यांतर की छुट्टी के समय अनेक फेरीवाले स्कूल के बाहर आ जाते हैं । निर्धन विद्यार्थी सामान्यतया अपने-अपने घर से खाने-पीने की चीजे ले आते हैं, जिन्हें वे कक्षा में ही बैठकर खा लेते हैं ।
अपनी भूख मिटाकर बालक छोटे-छोटे समूहो मे बट जाते हैं और आपस में अनेक प्रकार के विषयों पर बातचीत करते हैं । अकसर उनकी बातों का विषय कोई ऐसा अध्यापक होता है, जिसे वे पसन्द नहीं करते । कभी-कभी वे अपनी कक्षा के कुख्यात या शरारती बालक के क्रियाकलापों पर बात करते हैं । निचली कक्षाओं के बालक खेल के मैदान फुटबाल या अन्य कोई खेल खेलते हैं । अधिकांशतया वे इस समय हंसते हैं और अपने आप को प्रसन्न करते हैं ।
मध्यान्तर छुट्टी की समाप्ति के बाद:
जैसे मध्यांतर छुट्टी के समाप्त होने की घंटी बजती है, विद्यार्थियो की हंसी गायब हो जाती है । वे पुन: गम्भीर हो जाते है । वे अपनी-अपनी कक्षओं की ओर दौड़ पडते हैं, ताकि उन्हे देर न हो जायें ।
उपसंहार:
मध्यांतर की छुट्टी हमारे सामान्य दैनिक जीवन का भी एक नियमित अंग बन गई है । आजकल लगभग सभी कार्यालयों में भी कम-से-कम आधा घंटे का मध्यांतर अवकाश मिलता है । शहर की कुछ दुकाने भी खाने की छुट्टी करती है । ऐसा करने से हमारी कार्यकुशलता बढ़ती है और हम अपने काम को ध्यान से मनोयोगपूर्वक करने की सामर्थ्य पुन: जुटा लेते हैं ।