शिक्षा की नई प्रणाली पर अनुच्छेद | Paragraph on New Pattern of Education in Hindi

प्रस्तावना:

भारत में शिक्षा की वर्तमान व्यवस्था उन्नीसवीं शताब्दी में लॉर्ड मेकाले ने मूलत: क्लर्क तैयार करने के, लिये बनाई थी । उस समय अंग्रेजों को ऐसे पढ़े-लिखे भारतीयों की आवश्यकता थी, जो उनके शासन कार्य में हाथ बटा सकें ।

आजादी के बाद से इस दूषित शिक्षा प्रणाली पर अनेक चर्चायें और विचार-विमर्श हुए । कई प्रकार के आयोग बैठाये गए और उनकी सिफारिशो के अनुसार समय-समय पर अनेक परिवर्तन हुये, लेकिन मूल ढांचे में विशेष परिवर्तन नहीं हो पाया और शिक्षा का सही उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया ।

शिक्षा का सही उद्देश्य:

शिक्षा का सही उद्देश्य विद्यार्थियों का सर्वागीण विकास करके उनको देश का आदर्श नागरिक बनाना है । वे तभी ऐसा कर सकेंगे जब शिक्षा समाज करने के बाद वे अपने पैरों पर खड़े होकर स्वय रोटी-रोजी कमाने लायक बन सके । आज हमारी शिक्षा उन्हें अक्षरज्ञान देकर विविध विषयों का सैद्धांतिक ज्ञान तो देती है, पर उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने योग्य नहीं बना पाती ।

नई शिक्षा प्रणाली:

उपर्युक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिये शिक्षाविदों ने देश के सामने एक नई शिक्षा प्रणाली का सुझाव दिया, जिसे १०+२+३ प्रणाली कहा जाता है । इस व्यवस्था के अन्तर्गत विद्यार्थी को स्नातक बनने में कुल 15 वर्ष का समय लगेगा । पहले दस वर्ष रकूल में अक्षरज्ञान तथा सामान्य विषयों की पढाई के लिये लगाये जायेंगे ।

इस दौरान सभी मूल विषयों का सामान्य ज्ञान दिया जायेगा, जिनमें भाषायें (अंग्रेजी, हिन्दी, तथा मातृभाषा या एक अन्य भाषा), गणित, मानवीकी सामान्य विज्ञान, सामाजिक ज्ञान जैसे विषय पढाये जायेंगे । इसके बाद एक सार्वजनिक परीक्षा होगी, जिसे माध्यमिक परीक्षा का नाम दिया गया है । यदि विद्यार्थी इसके बाद पढ़ाई छोड़ना चाहेंगे, तो उन्हें क्लर्क आदि जैसी सामान्य नौकरियाँ मिल सकेंगी ।

माध्यमिक परीक्षा के बाद दो वर्ष की अतिरिक्त पढ़ाई भी स्कूलों में ही होगी, जिसे उच्चतर माध्यमिक नाम दिया गया है । यह पुराने इंटरमीडियट के समकक्ष होगी । इन दो वर्षो में व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया जायेगा । इस व्यावसायिक शिक्षा को प्राप्त करके लोग अपना रोजगार करने में समर्थ हो सकेंगे ।

ADVERTISEMENTS:

जो व्यक्ति उच्च शिक्षा पाना चाहेंगे, उनके लिए चुने हुए विषयो की उच्च शिक्षा का प्रबन्ध होगा । उदाहरण के लिए डॉक्टरी, इंजीनियरिंग अथवा ऐसी ही किसी विशेष शिक्षा को प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को इनसे संबंधित विषयों का विशेष ज्ञान दिया जायेगा तथा अन्य उच्च शिक्षा के विषयों के आगे के अध्ययन का आधार प्रदान किया जायेगा । इन दो वर्षों की पढाई के बाद पुन: सार्वजनिक परीक्षा होगी ।

इस उच्चतर माध्यमिक परीक्षा के बाद विश्वविद्यालय की +3 वर्ष की शिक्षा के लिये केवल कुशाग्र बुद्धि चुने हुये छात्र ही लिये जायेंगे । सामान्य औसत विद्यार्थियों की शिक्षा १०+२ के बाद ही समाप्त हो जायेगी । इंजीनियरिंग, डॉक्टरी या अन्य विशेष शिक्षा संस्थाओं में १०+२ के बाद प्रवेश मिल सकेगा ।

नई शिक्षा प्रणाली की प्रगति:

ADVERTISEMENTS:

उपर्युक्त शिक्षा प्रणाली अधिकांश राज्यों मे लागू हो गई है । इसे लागू करने के लिये केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारी को आर्थिक सहायता दी है । समूचे देश में शिक्षा का रत्तर समान रखने के लिए और अध्यापको को प्रशिक्षण देने का भार केन्द्र सरकार ने उठाया है ।

नई प्रणाली के लाभ:

इस नई शिक्षा प्रणाली के अनेक लाभ हैं । इससे समूचे देश में शिक्षा का स्तर समान हो सकेगा । 12 वर्ष की शिक्षा के बाद विद्यार्थी किसी-न-किसी व्यवसाय में पारगत हो सकेंगे तथा विश्वविद्यालयों में भीड़ कम हो जायेगी और उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार होना ।

उपसंहार:

नई शिक्षा प्रणाली को पूर्णरूप से सफल बनाने के लिये अभी बहुत-कुछ करना है । परीक्षा प्रणाली में सुधार अत्यावश्यक है, ताकि बढ़ती हुई नकल करने की प्रवृत्ति रुक सके । शिक्षा के स्तर में सुधार के लिये विद्यालयों के लिये सहायक सामग्री की व्यवस्था तथा अध्यापकों के प्रशिक्षण की जरूरत है । इसके लिये बहुत बडी धनराशि चाहिये । यदि हम दृढता से इस दिशा में प्रगति करते रहे, तो कुछ वर्षों में हमारा शिक्षा का स्तर विश्व के किसी भी विकसित देश के स्तर से नीचा नहीं रहेगा ।

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