जे.आर.डी.टाटा पर निबन्ध | Essay on J.R.D.Tata in Hindi!
1. भूमिका:
आज जिस ‘एयर इंडिया’ का नाम हम बड़े-सम्मान से लेते हैं और जिसका प्रतीक (Symbol) महाराजा की वेशभूषा वाला व्यक्ति है, उस विमान सेवा को देश की आजादी के पहले टाटा एयरलाइन्स के नाम से जाना जाता था । यह बात आज शायद बहुत कम लोगों को ही मालूम होगी किन्तु यह अवश्य जानते होंगे कि एयर इंडिया के संस्थापक (Founder) थे श्री जे.आर.डी.टाटा ।
2. जन्म और शिक्षा:
जे.आर.डी. टाटा का जन्म 20 जुलाई 1904 को पेरिस में हुआ । उनके पिता थे सुप्रसिद्ध उद्योगपति जमशेदजी टाटा के चचेरे भाई रतनजी टाटा । जमशेदजी के बड़े पुत्र थे दोराबजी । रतनजी टाटा के पुत्र का नाम पड़ा जहाँगीर टाटा और पारसी नियम के अनुसार इन सभी नामों को मिलाकर जहाँगीर टाटा बाद में जे.आर.डी. टाटा के नाम से प्रसिद्ध हुए ।
उनकी माता एक फ्रांसीसी (French) । महिला थीं जिनका नाम सुजान था और बाद में पारसी में सूनी (सोने से बनी हुई) नाम से जानी गईं । पंद्रह मय की आयु तक जहाँगीर की पढ़ाई का कोई सिलसिला न बन सका ।
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वे प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान लड़ाकू विमानों को उड़ते हुए देखने में मग्न रहते थे । उसके बाद उन्हें पेरिस के एक पब्लिक स्कूल में पढ़ने भेजा गया । उनकी माता के देहांत के बाद उन्हें इंग्लैंड के एक स्कूल में भर्ती किया गया । इंजीनियरिग की डिग्री लेकर वे भारत लौट आए ।
3. कार्यकलाप:
भारत लौटकर जे.आर.डी. ने जमशेदपुर के इस्पात वव्ट । कारखाने में काम करना आरम्भ किया । इसी दौरान उनके पिता रतनजी टाटा का फ्रांस में देहांत हो गया । इसके बाद जे.आर.डी. पर कम्पनी के कर्जों तथा अपने चार भाई-बहनों की देखभाल का भार पड़ गया ।
जिम्मेदारियों ने जे.आर.डी. को युवावस्था से पहले ही अनुभवी न्द्वश्ट पट) बना दिया । वे कम्पनी से केवल 750 रुपये वेतन लिया करते थे । 34 वर्ष की आयु में उनका विवाह थेली नामक कन्या से हुआ । इसके बाद उन्होंने विमान चलाने का लाइसेंस प्राप्त किया और लंदन में एक विमान खरीदा । उसी विमान में अकेले कराची से इंग्लैंड तक की उड़ान भर कर सन् 1930 में आगा खाँ से 500 पौंड का पुरस्कार जीता ।
इसके बाद उन्होंने सन् 1933 में टाटा एयरलाइन्स की शुरूआत की जो सन् 1948 से एयर इंडिया के नाम से जाना गया । यात्री सेवा हो या सैनिक सेवा, जे.आर.डी. ने सदा देशभक्ति की भावना के साथ भारत सरकार की खुले मन से मदद की । 30 नवम्बर 1993 को स्विट्जरलैंड में इस महान देशभक्त उद्योगपति का देहांत हो गया ।
4. उपसंहार:
जे.आर.डी. टाटा जितने बड़े उद्योगपति थे उतने ही सरल स्वभाव के तथा सीधे-सादे व्यक्ति थे देश की अनेक विकास योजनाओं तथा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय रक्षा कोष की स्थापना में भी उनका हाथ रहा । जे.आर.डी. टाटा का नाम भारत के इतिहास में सदा अमर रहेगा ।