कहानीकार मुंशी प्रेमचंद पर निबन्ध | Essay on Story Writer Munsi Prem Chand in Hindi!
1. भूमिका:
हिन्दी साहित्य में कहानी और उपन्यास की चर्चा हो तो मुंशी प्रेमचंदजी का नाम लिए बिना बात पूरी नहीं हो सकती । प्रेमचंदजी ने राजा-महाराजाओं और भूत-प्रेतों की कहानियाँ नहीं लिखीं बल्कि समाज के छोटे, दबे-सहमे और सताये गये लोगों के दुख-दर्द को अपनी कहानियों का विषय बनाया । अपने उपन्यासों में उन्होंने भारतीय समाज पर अंग्रेजी शासन के बुरे प्रभाव का चित्रण किया ।
2. जन्म और शिक्षा:
हिन्दी साहित्य के इस महापुरुष का जन्म सन् 1880 ई. में वाराणसी के पास लमही नामक गाँव में हुआ था । इनके पिता श्री अजायब राय एक डाकखाने में सामान्य क्लर्क थे । प्रेमचन्दजी अभी छोटे ही थे कि उनकी माता का देहांत हो गया । पिता ने दूसरा विवाह कर लिया । प्रेमचन्दजी के बचपन का नाम था धनपत राय और बाद में इनके चाचा ने इनका नाम नवाब राय रखा था ।
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बचपन में इन्होंने अनेक मानसिक और आर्थिक (Monetary) कष्ट सहन किये । शुरू से ही ट्यूशन करके अपनी पढ़ाई का खर्च निकालते और आठ मील पैदल चलकर स्कूल जाते । उन्होंने किसी प्रकार मैट्रिक और फिर इण्टरमीडिएट परीक्षा पास किया और 18 रुपये मासिक पर अध्यापक हो गए ।
अध्यापक बनने के बाद मुंशी प्रेमचंदजी स्कूलों के निरीक्षक (School Inspector) भी बने । पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित की और फिल्मों के लिए कहानियाँ भी लिखी । लेकिन ये सब कार्य उनकी वास्तविक रुचि और प्रतिभा (Talent) के मुताबिक संतोष देने वाले नहीं थे ।
3. कार्यकलाप:
पहले उन्होंने नवाबराय नाम से ‘सोजे-वतन’ नामक उर्दू में कहानी संग्रह प्रकाशित किया, लेकिन अंग्रेज सरकार ने उस पर रोक लगा दी । इसके बाद धनपत राय के नाम से और फिर प्रेमचंद के नाम से आप हिन्दी में लिखने लगे ।
मुंशी प्रेमचंदजी ने जो लोकप्रिय (Popular) उपन्यास (Novels) लिखे उनके नाम हैं – सेवासदन, कर्मभूमि, कायाकल्प, निर्मला, प्रतिज्ञा, वरदान, रंगभूमि, गबन और गोदान । इसके अलावा आपने सैकड़ों कहानियों की रचना भी की, जिनके संग्रह का नाम है – मानसरोवर । इनकी रचनाओं में तीन उपन्यास बहुत महान समझे जाते हैं-. रंगभूमि, गबन और गोदान । सन् 1936 में इस महान साहित्यकार का निधन हो गया ।
4. उपसंहार:
प्रेमचंद जी की कहानियों और उनके उपन्यासों की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि अधिकतर किसान, मजदूर और सीधे-सादे लोग उनकी कहानियों के पात्र (Characters) हैं । उन्होंने अपनी रचनाओं में ऐसे लोगों के जीवन की साधारण से साधारण बात का भी बडी सरलता से वर्णन किया है और उनकी भावनाओं को महत्व दिया है उनकी भाषा होली झा सरल कम, पढ़े-लिखे व्यक्ति और ऊँचे विद्वान, दोनों समान रूप से उनकी पुस्तकों क लाभ उठा सकते हैं मुंशी प्रेमचंद विश्व स्तरीय साहित्यकारों में शुमार किये जाते ।