जवाहरलाल नेहरू |Jawaharlal Nehru in Hindi!

1. भूमिका:

जवाहरलाल नेहरू का नाम हम सभी आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में जानते हैं । देश की आजादी के कुछ वर्ष पहले से भारत के भविष्य के निर्माण में लगे जवाहरलाल आजादी के बाद न केवल इस देश के प्रथम प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हुए बल्कि देश को तेजी से प्रगति के पथ पर लाने का प्रयास किया । ‘आराम हराम है’ का नारा देने वाले जवाहरलाल का जीवन चरित्र हर भारतवासी के लिए प्रेरणा का स्रोत (Source of inspiration) है ।

2. जन्म और शिक्षा:

पंडित जवाहरलाल के पूर्वज (Forefathers) कश्मीर से आकर दिल्ली में एक नहर के किनारे बसे थे । इसलिए वे नेहरू कहलाने लगे । फिर वे आगरा और बाद में इलाहाबाद में जाकर रहने लगे । इसी परिवार में 14 नवम्बर 1889 को जवाहरलाल का जन्म हुआ । उनके पिता थे सुप्रसिद्ध वकील पण्डित मोतीलाल नेहरू और माता थीं स्वरूप रानी नेहरू । जवाहरलाल का बचपन बडे ठाट-बाट से बीता ।

जवाहरलाल की शिक्षा का आरम्भ घर पर ही हुआ । घर पर ही इन्हें पड़ाने के लिए कई अंग्रेज शिक्षक नियुक्त किये गये । सन 1905 में वै इंग्लैंड के हैरो स्कूल में दाखिल हुए और दो वर्ष बाद कैम्बिज के ट्रिनिटी कॉलेज में प्रवेश लिया । इसके पश्चात् उन्होंने इंग्लैंड में ही सन् 1912 ई. को वकालत की परीक्षा पास की और भारत लौट आए ।

3. कार्यकलाप:

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भारत लौटकर जवाहरलाल कांग्रेस के सदस्य बन गये और राजनैतिक कार्यक्रमों में भाग लेने लगे । लखनऊ में आपकी मुलाकात गाँधीजी से हुई जिससे देशसेवा की भावना और मजबूत हो गई । इसी वीच सन् 1916 में कमला नेहरू से आपका विवाह हुआ । जालियाँवाला बाग हत्याकांड के बाद आपने वकालत छोड्‌कर पूर्ण रूप से राजनीति में कदम रखा ।

सन् 1917 ई. में उनकी पुत्री इन्दिरा प्रियदर्शिनी का जन्म हुआ । इसके कुछ ही समय बाद सरकार की आलोचना करने के अपराध में उन्हें जेल भेज दिया गया । सन् 1919 में कीसान आन्दोलन और 1921 में असहयोग आन्दोलन में भाग लेने पर भी उन्हें कैद की सजा मिली ।

सन् 1926-27 में उन्होंने स्विट्‌जरलैंड तथा सोवियत संघ (USSR) की यात्राए की । 1929 ई. में उन्होंने भारत को पूरी आजादी दिलाने की घोषणा की । सन् 1942 के भारत-छोड़ो आन्दोलन (Quit India movement) में भी उन्हें नजरबंद कर दिया गया था ।

4. उपसंहार:

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अन्तत: 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ और जवाहरलाल स्वाधीन भारत के पहले प्रधानमंत्री चुने गये । इन्होंने 18 वर्षों तक प्रधानमंत्री के पद पर रहकर न केबल भारत का आर्थिड विकास (Economics development) किया बल्कि पूरे विश्व को शांति, सहयोग और आहिंसा का संदेश दिया और 27 मई 1964 को इस संसार से विदा ली । वे अपने कर्तव्य और त्याग के लिए सदा याद किये जाते रहेंगे ।