डॉ० ए. पी. जे. अब्दुल कलाम!
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भारत का राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रथम नागरिक एवं सर्वोच्च अधिकारी होता है । राष्ट्रपति बनने के लिए आवश्यक है कि वह बुद्धि एवं योग्यता दोनों में खरा हो ताकि वह संपूर्ण राष्ट्र के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले सके ।
भारत के 12वें राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त डॉ॰ कलाम भले ही पूर्व में किसी राजनीतिक पार्टी से संबद्ध नहीं रहे हों परंतु अपने जीवन में उन्होंने सफलताओं के अनेक आयाम स्थापित किए हैं । देश के लिए अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियों के पीछे डॉ॰ कलाम का नाम संलग्न है ।
सत्तर वर्षीय डॉ॰ अब्दुल कलाम देश में ही नहीं अपितु विश्व भर में ‘मिसाइल मैन’ के नाम से विख्यात हैं । आपका पूरा नाम ‘अवुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम’ है । इससे पूर्व वे प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्यरत थे ।
जीवन पर्यंत अविवाहित रहे डॉ॰ कलाम अपनी सादगी के लिए विख्यात हैं । सरकारी तौर पर समस्त सुख-सुविधाएँ उपलब्ध होने के उपरांत भी उन्होंने अपने आमोद-प्रमोद के लिए कभी भी सरकारी सुविधाओं का प्रयोग नहीं किया ।
डॉ॰ कलाम को भारतीय मिसाइल जगत का जनक कहा जाता है । 1980 ई॰ में उनके नेतृत्व में ही भारत का प्रथम ‘सैटेलाइट यान’ एस॰एल॰वी॰-3 छोड़ा गया । इतना ही नहीं देश की शक्ति कहे जाने वाले ‘अग्नि’ तथा ‘पृथ्वी’ नामक प्रक्षेपास्त्रों के जन्मदाता डॉ॰ कलाम ही हैं ।
भारत को परमाणु क्षमता संपन्न राष्ट्र बनाने हेतु 1998 ई॰ में पोखरण में किए गए परमाणु परीक्षण डॉ॰ कलाम की देखरेख में ही हुए । उनका मानना है कि अतीत में भारत के पिछड़ेपन का प्रमुख कारण यह है कि भारत तकनीकी में अन्य देशों से पिछड़ गया था । अत : अपने गौरवशाली इतिहास को पुन: दोहराने हेतु राष्ट्र को वैज्ञानिक क्षमताओं से संपन्न होना होगा । डॉ॰ कलाम परमाणु बमों को ‘शांति का अस्त्र’ मानते हैं । उनका मानना है कि हमारी परमाणु क्षमता ही विदेशी आक्रमण का प्रमुख अवरोधक है ।
विज्ञान के साथ ही साथ उन्हें कविता लिखने व वीणा बजाने में भी विशेष रुचि है । डॉ॰ कलाम का जन्म एक निर्धन मुस्लिम परिवार में हुआ । उनके पिता कुछ नावों के मालिक थे । मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी से इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त करने के लिए उनकी बहन को अपने जेवर तक बेचने पड़ गए ।
आज सफलता के शिखर पर पहुँचने के उपरांत भी वे सामान्य जनों की भांति सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं । वे आज भी पूर्ण शाकाहारी हैं तथा धूम्रपान आदि व्यसनों से कोसों दूर हैं । प्रतिदिन प्रात: उठकर लगभग 2 किमी॰ की पदयात्रा उनकी दिनचर्या में शामिल है ।
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मुस्लिम समुदाय में जन्म लेने के उपरांत भी वे प्राय: ‘कुरान शरीफ’ के साथ भगवद्गीता का भी अध्ययन करते हैं । उन्होंने धर्म को कभी भी जीवन में अवरोधक नहीं बनने दिया । उनका मानना है कि राष्ट्र उनके लिए सर्वोपरि है । व्यक्ति कभी भी राष्ट्र से अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है ।
राजनीति में डॉ॰ अब्दुल कलाम का प्रवेश किसी आश्चर्य से कम नहीं है । तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी द्वारा देश के सर्वोच्च पद के लिए उनके नाम के अनुमोदन ने सभी को चौंका दिया । प्रारंभ में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी तथा उनके सहयोगी दलों ने उनके नाम का समर्थन किया । बाद में कांग्रेस ने भी उनके नाम की स्वीकृति दे दी । इस प्रकार केवल वामपंथी दलों को छोड्कर सभी अन्य दलों ने उनके नाम का समर्थन किया ।
प्रारंभ में विपक्षी दलों द्वारा उनकी राजनीतिक अनुभवहीनता का प्रश्न उठाया गया परंतु ऐसा पहली बार नहीं हुआ है । इससे पूर्व डॉ॰ जाकिर हुसैन, डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भी शिक्षा जगत से ही राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए थे और उन्होंने इस पद की गरिमा को चार चाँद भी लगाए ।
डॉ॰ कलाम अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधि ही नहीं अपितु समस्त मध्यमवर्गीय परिवारों के आदर्श बनकर उभरे हैं । भारतीय मिसाइल कार्यक्रमों के जनक कहे जाने वाले डॉ॰ कलाम को देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को देखते हुए उन्हें 1997 ई॰ में ‘भारत रत्न’ के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया ।
राष्ट्रपति पद के लिए माननीय डॉ॰ कलाम का नाम भले ही प्रारंभ में लोगों के लिए आश्चर्य का विषय रहा हो परंतु राष्ट्र के लिए समर्पित यह प्रतिभावान व्यक्ति ही इस पद का सच्चा दावेदार है । आज सत्ता में डॉ॰ कलाम जैसे कर्मठ, योग्य, अनुशासित व महान चरित्र वाले व्यक्तियों की आवश्यकता है । हमें आशा है कि डॉ॰ कलाम की सेवाएँ राष्ट्र को एक लंबे समय तक प्राप्त होंगी ।