मुस्तफा कमाल पाशा पर निबंध | Essay on Mustafa Kamal Pasha in Hindi
1. प्रस्तावना:
आधुनिक टर्की के पिता कहे जाने वाले मुस्तफा कमाल ने अपने कुशल नेतृत्व में न केवल टर्की को पराधीनता से मुक्त किया, अपितु टर्की को एक ऐसा नया रूप दिया, जिसके कारण टर्की विश्व में शक्तिशाली राज्य बन पाया । टर्की को नवजीवन देने वाले मुस्तफा कमाल को अतातुर्क के नाम से भी पुकारा जाता है ।
राष्ट्रनायक के रूप में ब्रिगेडियर का पद प्राप्त करने के बाद उसे ”पाशा” की उपाधि भी मिली थी । मुस्तफा कमाल ने 20 वर्षों से विखण्डित तुर्क राज्य को मृत्युशैय्या से उठाकर स्वस्थ जीवन दिया था । टर्की को नया कलेवर देने वाले मुस्तफा कमाल को एक योग्य सैनिक सुधारक और राजनीतिज्ञ भी माना जाता है ।
2. जीवन वृत्त एवं उपलब्धियां:
कमाल पाशा का जन्म सन् 1881 में सैलोनिका में हुआ था । उसके पिता का नाम अली रजा एफंदी और माता का नाम जुबेद था । 1888 में उसके पिता का देहावसान होने के बाद माता जुबेद ने उसका पालन-पोषण किया । 1893 में उसे सैलोनिका विद्यालय में दाखिला दिया गया । उसके बाद 1899 में कुस्तुतुनिया के सैनिक महाविद्यालय में प्रवेश ले लिया ।
वहां 1905 में सैनिक अधिकारी बनकर निकलने के साथ ”एकता प्रगति मंच नामक” संगठन के सम्पर्क में आया । 1912-13 के बाल्कन युद्ध में उसने सफलता प्राप्त की । वह राष्ट्रनायक के रूप में माना जाने लगा । ब्रिगेडियर का पद प्राप्त करने के बाद उसने रूसी फौजों के विरुद्ध काकेशिया में सफलता प्राप्त की । सन् 1918 में उसने फौजों को सीरिया में रोक दिया ।
1919 में जब वह सेना का प्रधान बनकर अनातोलिया में भेजा गया, तो वहां उसके राष्ट्रवादी आन्दोलन में भाग लेने के कारण उसे सैनिक पद से बर्खास्त कर दिया गया । 23 अप्रैल 1920 को मुस्तफा कमाल ने राष्ट्रीय सभा का अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद टर्की का शासन दायित्व अपने हाथ में ले लिया और 20 जनवरी 1921 को देश के सामयिक संविधान की घोषणा कर दी ।
अपने हाथों में समस्त सैनिक शक्ति प्राप्त करने के बाद उसने 1921 में सकरिया नदी के युद्ध में विजय प्राप्त कर ”मार्शल” तथा ”गाजी” की उपाधि ग्रहण की । 24 जुलाई 1923 को लोजान की सन्धि के द्वारा टर्की को स्वाधीन किया और विदेशी फौजों को खदेड़ दिया । 29 अक्टूबर 1923 को टर्की एक गणतन्त्र घोषित किया गया । इस गणराज्य का नया संविधान 20 जनवरी 1924 को लागू कर शासन की सारी शक्ति राष्ट्रीय सभा के हाथ में रखी गयी ।
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अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद मुस्तफा ने नागरिकों को मूल अधिकार और अन्य प्रकार की स्वतन्त्रता प्रदान की । प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य बनाया । 1928 के संशोधन द्वारा इस्लाम को राजधर्म से हटा दिया । देश को 82 प्रान्तों में विभक्त किया । इन प्रान्तों को 430 जिलों एवं मण्डलों में विभाजित कर दिया । देश की पुरानी न्याय व्यवस्था के साथ-साथ कचहरियों को भंग कर दिया । व्यापारिक कानून इटालियन, जर्मन तथा स्विटजरलैण्ड की तर्ज पर लागू किया ।
प्रशासनिक क्षेत्र में आमूल चूल परिवर्तन करते हुए उसने गणतन्त्रवादी जनता दल की स्थापना की । अपने विरोधियों को आसानी से कुचल दिया । प्रथम विश्व युद्ध के बाद खण्डहर के रूप में प्राप्त टर्की की स्थिति में आन्तरिक सुधार किये । देश पर विदेशी ऋण था, तो दूसरी ओर धन-जन की अपार हानि होने के कारण कृषि व उद्योग-धन्धे नष्ट हो गये थे । उसकी आधी आबादी युद्ध में बर्बाद हो चुकी थी । अर्थव्यवस्था क्षत-विक्षत थी । जनता अशिक्षित व मूर्ख थी ।
अर्थव्यवस्था व राजस्व प्रबन्ध में सुधार लाने के लिए उसने सन्तुलित बजट तैयार किया । शराब, तम्बाखू, नमक, अस्त्र-शस्त्र पर राज्य का अधिकार कर लिया । विदेशी कम्पनियों से रेलवे लाइन खरीदकर उसका जाल पूरे देश में फैलाया । नयी सड़कों का निर्माण, नये कल-कारखाने खोले ।
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पंचवर्षीय योजनाओं को प्रारम्भ किया । राज्य द्वारा सुमेर, सेन्ट्रल, एटी, इज बैंक संचालित कर विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन दिया । चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स की स्थापना की । श्रमिकों के कल्याण हेतु 1936 में श्रम-कानून पास करवाये ।
सामाजिक पुनर्निर्माण के क्षेत्र में तीन प्रमुख सिद्धान्त-समानतावाद, धर्मनिरपेक्षता, क्रान्तिवाद पर बल दिया । खलीफा के पद को समाप्त कर दिया तथा सुलतान के वंशजों को टर्की से निकाल दिया । बहुविवाह प्रथा का अन्त कर स्त्रियों को राजनैतिक अधिकार प्रदान किये ।
जनता को मत देने का अधिकार मिला । दूसरे देशों से आये लोगों को टर्की में बसाया । शुक्रवार के स्थान पर 1935 से साप्ताहिक छुट्टी का दिन रविवार कर दिया गया । 1937 से नागरिकों को पूर्ण धार्मिक स्वतन्त्रता प्रदान की गयी ।
सांस्कृतिक पुनर्निर्माण के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में कदम उठाते हुए उसने अरबी की क्लिष्ट लिपि को समाप्त कर दिया । अनेक विरोधों के बाद भी रोमन लिपि का प्रचलन कराया । 1932 में तुर्क भाषा-समाज की स्थापना कर नयी भाषा को समृद्ध करवाया । नयी लिपि के कारण शिक्षा का प्रचार आरम्भ हो गया ।
स्कूली तथा महाविद्यालयीन शिक्षा का तेजी से विकास हुआ । व्यापार, कृषि, विज्ञान आदि के साथ, ललित कला, शारीरिक शिक्षा, राजनीति व समाज-विज्ञान तथा उच्च शिक्षा की संस्थाएं भी खोलीं गयीं । उसने अनातोलियन नामक समाचार एजेन्सी के माध्यम से जनता में जागृति उत्पन्न की ।
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टर्की को प्रगतिशील राष्ट्रों की श्रेणी में ला खड़ा करने के लिए कमाल पाशा ने गणतन्त्रवाद, राष्ट्रवाद, समानतावाद, नियन्त्रित अर्थवाद, धर्मनिरपेक्षतावाद एवं क्रान्तिवाद नामक 6 सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया । देश के समुचित उत्थान के लिए उसने पुरातनपन्धी मान्यता को नष्ट करने के लिए सैनिक शक्ति का प्रबल प्रयोग किया, जिसके कारण ही टर्की की कायापलट हो पायी ।
मुस्तफा कमाल पाशा ने अपनी तुर्क वैदेशिक नीति के तहत रूस की सहायता से सर्वप्रथम फ्रेंच फौज को अलेप्पो की ओर धकेला । एक सन्धि द्वारा 1920 में युद्ध सग्बन्ध खत्म किये । सोवियत फौजों के सहयोग से आरमेनिया का अन्त किया । इटली के साथ सन्धि करके आर्थिक सुविधाएं प्राप्त कीं ।
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उसने ग्रीक आक्रमणकारियों को अपने तुर्की क्षेत्र से खदेड़ा । लोजान सन्धि के द्वारा स्वतन्त्र तुर्क राष्ट्र बनाया । सोवियत संघ के साथ 10 वर्षीय मित्रता व सहयोग का समझौता किया । 1932 में अपनी शान्तिपूर्ण नीति के द्वारा उसने राष्ट्रसंघ की सदस्यता प्राप्त की ।
जर्मनी तथा यूरोप के तानाशाहों के खतरों से बचने के लिए ”बाल्कन मित्र संघ” बनाया । 1937 में इराक व अफगानिस्तान के बीच सादाबाद नामक सन्धि कर सरहदों को सुरक्षित किया । देश को आन्तरिक और बाह्य दृष्टि से सुरक्षित करते हुए मुस्तफा कमाल पाशा ने सदा के लिए अपनी आखें मूंद लीं ।
3. उपसंहार:
प्रथम महायुद्ध के पश्चात् क्षत-विक्षत तथा खण्डहर बने टर्की को नयी अर्थव्यवस्था, नया संविधान, नया समाज, नयी वैदेशिक नीति देकर मुस्तफा कमाला पाशा ने पुनर्जीवित किया । टर्की के गौरव तथा प्राण-प्रतिष्ठा के लिए उसने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों तथा आलोचनाएं सहीं । व्यक्तिगत जीवन में जुआ, शराब, सुन्दरियों का अनन्य प्रेमी कमाल पाशा अपनी इन दुर्बलताओं के बाद भी विश्व के महान् शासकों की पंक्ति में आता है ।