हमारे विद्यालय का पुस्तकालय (लायब्रेरी)  | Our School Library in Hindi!

पुस्तक और आलय शब्द के योग से पुस्तकालय शब्द बनता है । जिस का अर्थ है- पुस्तकों का घर । जिस स्थान पर ज्ञान-विज्ञज्ञन की विभिन्न विषयों की पुस्तकों को संचित किया जाता है, उसे पुस्तकालय कहते हैं । प्रत्येक विद्यालय में पुस्तकालय होता है ।

हमारे विद्यालय में भी एक विशाल पुस्तकालय है । इस पुस्तकालय में लगभग पांच हजार पुस्तकें हैं । यहाँ प्रतिदिन हिन्दी और अंग्रेजी के छ: समाचारपत्र आते हैं । कई साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्रिकाएं भी आती हैं । सप्ताह में एक पीरियड पुस्तकालय का होता है । इस दिन हमारी पुस्तकालय की अध्यक्षा हमें पुस्तकें प्रदान करती हैं ।

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पुस्तकालय में लगभग तीन कुर्सियां और आठ बैंच हैं जहाँ लगभग सत्तर अस्सी छात्र और अध्यापक बैठ सकते हैं । कुर्सियां अध्यापकों के लिए और बैंच छात्रों के लिए हैं । यहाँ लगभग आठ बड़ी-बड़ी मेजें हैं । पुस्तकें रखने के लिए साठ-पैंसठ अलमारियां हैं । पुस्तकालय में लगभग बीस पंखे लगे हुए हैं । हवा आने के लिए खिड़कियाँ और दूषित हवा बाहर निकालने के लिए रोशनदान लगे हैं ।

पुस्तकालय का समय भी ही वह है जो विद्यालय का है, परन्तु फरवरी में एक महीने के लिए लायब्रेरी सायंकाल सात बजे तक खुलती है । जिस से दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्र अधिक समय तक अध्ययन कर सकें । यहाँ प्रत्येक विद्यार्थी एक समय में दो पुस्तकें ले सकता है । पन्द्रह दिन के बाद वह उनका नवीकरण करा सकता है । अध्यापकों के लिए किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है ।

पुस्तकालय में स्थान-स्थान पर ‘शान्ति रखिये’, ‘चुप-चाप पढ़िए’, केवल ‘आवश्यकता पड़ने पर धीरे से बोलिए’ आदि वाक्य लिखे हैं । किसी भी समाचारपत्र और पत्रिका का अवलोकन करने के पश्चात् उसका यथास्थान पर रखना अनिवार्य है । यहां पाठ्यक्रम से संबंधित पुस्तकों की दस-पंद्रह प्रतियाँ हैं । जिससे गरीब से गरीब छात्र उनका लाभ उठा सकें ।

वार्षिक परीक्षा में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पाने वाले छात्रों को सभी पाठ्य-पुस्तकें नि:शुल्क प्रदान की जाती हैं । कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के लिए अनेक आरक्षित पुस्तकें हैं जो केवल उन्हीं को दी जाती है ।

हमारे पुस्तकालय में पुस्तकालयाध्यक्षा के अतिरिक्त एक सहायक भी है । इनका व्यवहार बड़ा स्नेहपूर्ण है । मुझे अपने पुस्तकालय पर गर्व है । यहाँ प्रतिवर्ष अनेक नई पुस्तकें खरीदी जाती हैं, जिससे पुस्तकों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि हुई है । ऐसा उत्तम पुस्तकालय संभवत: कुछ ही विद्यालयों में होगा ।

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