भारत में प्रक्षेपास्त्र (मिसाईल) विकास कार्यक्रम पर अनुच्छेद | Paragraph on India’s Missile Development Program in Hindi

आज के युद्धक-विज्ञान के परमाणु के विघटन और विखण्डन मे सफलता पाने के बाद से अब तक परमाणु-शक्ति के बल पर अनेक तरह के संघातक शास्त्रस्त्रों का निर्माण और परीक्षण सफलतापूर्वक किया है । सन् 1945 में जापान के नागासाकी एवं हिरोशिमा नामक दो नगरों में परजिन परमाणु बमों का प्रक्षेपण एवं विस्फोट किया गया था ।

उसे कराने वाले मानव के ही हाथ थे । आज तक ऐसे-ऐसे अन्तर्राष्ट्रीय प्रक्षेपास्त्रों का विकास एवं निर्माण हो चुका है कि अब इस तरह के कार्य करने के लिए कहीं भी आने-जाने की आवश्यकता नहीं रह गई है । बस अपने घर या किसी गुप्त स्थान पर बैठकर मात्र एक बटन दबाने की आवश्यकता है ।

परमाणु बम या उससे भी बढ़कर घातक बम जिसे मिसाईल या प्रक्षेपास्त्र कहा जाता है वे सैकड़ों हजारों मीलों तक जाकर तबाही मचा सकने में परमाणु-शक्ति संचालित ऐसे ही अस्त्र-शस्त्र हैं । इनके द्वारा परमाणु या अन्य बम भी घर पर बैठे-बिठाए अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार पहुंचाए और गिराए जा सकते हैं ।

भारत ने अब तक राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं के सुदूर तक मार कर सकने वाली मिसाईलों का निर्माण इन मिसाईलों का ठेकेदार मानने वाले अमेरिका जैसे देशों को भी अचम्भे में डाल दिया है । भारत आज कई प्रकार के प्रक्षेपास्त्रों या गाइडेड मिसाइलों का सफल निर्माण और परीक्षण कर रहा है ।

पहले परमाणु बम का भूमिगत विस्फोट कर, फिर आर्यभट्‌ट उपग्रह तथा भास्कर, रोहिणी आदि अन्य उपग्रह कक्षा में स्थापित कर परमाणु विज्ञान की श्रुंखला बनाकर और परीक्षण करके बड़ी सफलता के साथ किया जाना आरम्भ हुआ, जो आज तक जारी है ।

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इसके बाद धरती की सतह से ऊपर हवा में मार कर सकने में समर्थ ‘त्रिशूल’ नामक प्रक्षेपास्त्र का निर्माण और सफल परीक्षण सन् 1988 में किया गया । लम्बी दूर तक मार कर सकने वाली बेलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र ‘अग्नि’ का निर्माण और परीक्षण की घोषणा कर भारत को मिसाईल कार्यक्रम के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना दिया है । अब इस कला में दक्ष भारत विश्व का छठा देश बन गया है ।

‘अग्नि’ मिसाईल का परीक्षण 22 मई सन् 1989 के दिन इसका सफलतापूर्वक परीक्षण कर ही लिया गया । इस सोलह सौ से लेकर पच्चीस सौ किलोमीटर की दूरी तक सफलतापूर्वक मार कर सकता है । इसमें ठोस और तरल दोनों प्रकार के ईंधन का प्रयोग किया जा सकता है ।

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इस सफलता पर अपार हर्ष देश के सभी लोगों ने प्रकट किया । केवल अमेरिका ही एक ऐसा देश कहा जा सकता है जिसे भारत की इस सफलता पर हर्ष तो क्या होना था, उल्टे उसने तरह-तरह के आक्षेप किए और धमकिया भी दी । इनके अतिरिक्त भारत ‘आकाश’ और ‘नाज’ नामक जो अन्य प्रक्षेपास्त्रो का निर्माण भी कर चुका है ।

इनमें से कुछ प्रक्षेपास्त्र तो भारतीय सेनाओं को सौंप दिए गए हैं, बाकी भी यथासमय सौंपे जाने वाले हैं । भारत ने रयष्ट कहा है कि वह इनके द्वारा किसी पर कोई धौंसपट्‌टी नहीं जमाना चाहता । उसने एक तो तकनीकी क्षमता पाने के लिए इनका निर्माण किया है, दूसरे अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए किया है ।

भारतीय वैज्ञानिक तकनीक के इस क्षेत्र में अभी और अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील हैं । वह दिन दूर नहीं जब भारत प्रक्षेपास्त्रों की अपनी विकास यात्रा में अन्य विकसित देशों की समक्षता को प्राप्त कर लेगा ।

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