भ्रष्टाचार पर निबन्ध | Essay For Kids on Corruption in Hindi!

1. भूमिका:

भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना शब्द है- भ्रष्ट और आचार । अर्थात् अत्यंत निंदनीय (Condemnable) कार्य । ऐसे कार्य अनेक प्रकार के हो सकते हैं, जैसे अपने फायदे के लिए झूठ बोलना, अपने अधिकार से अधिक किसी से कुछ लेना, अवैध (Illegal) रूप से कोई भी कार्य करना, दूसरों को किसी विषय में उचित जानकारी न देना या घुमा-फिराकर जानकारी देना सरकार को टैक्स न देना और काला धन जमा करना इत्यादि ।

2. विस्तार:

ADVERTISEMENTS:

आज समाज में हर स्तर पर (at all levels) भ्रष्टाचार अपनी काली छाया डाल चुका है । आज हर व्यक्ति यह मानने लगा है कि भ्रष्टाचार के बिना वह जी नहीं सकता । भ्रष्टाचारी लोग ही आजकल कुशल एवं व्यावहारिक (Expert and Practical) समझे जाते हैं । अनेक नेता (Leader), अधिकारी (Officers) तथा सामान्य कर्मचारी और चपरासी (Peon) तक भ्रष्टाचार में शामिल देखे जाते हैं ।

गाँवों और शहरों के विकास (Development) के लिए बहुत-से रुपये खर्च होते हैं किन्तु विकास नहीं होता या बहुत कम होता है । नेताओं की खरीद-बिक्री (Purchase and sale ) के मामले भी देखे गये हैं । व्यापारियों की टैक्स चोरी काला-धन तथा कालाबाजारी (Black Marketing) के बारे में तो अक्सर सुना जाता है । विद्यार्थी भी परीक्षा में नकल करने और अंक बढ़वाने की कोशिश अर्थात् भ्रष्टाचार करने से नहीं चूकते ।

3. प्रभाव:

भले ही भ्रष्टाचार आज गैर कानूनी होते हुए भी साधारण बात हो गई है, लेकिन समाज पर त था आने वाली पीढ़ियों (Coming Generation) पर इसका बुरा प्रभाव ही पड़ता है । आज देश का पिछड़ाप (Backwardness) सुस्ती, चापलूसी (Flattery), रिश्वतखोरी (Bribery) दहेज (Dowry), आतंक (Terrorism) तथा बेरोजगारी (Unemployment) आदि समस्याएँ (Problems) भ्रष्टाचार के ही कारण पैदा हुई हैं । शिक्षा के स्तर (Standard of education) में गिरावट का भी यही कारण है ।

4. उपसंहार:

भ्रष्टाचार आज के समाज का सबसे बड़ा शत्रु है । कानून चाहे कितना ही कड़ा क्यों न हो भ्रष्टाचार को रोका नहीं जा सकता । इसे रोकने और इसे समाप्त करने के लिए जरूरी है कि एक-एक व्यक्ति देश के हित के लिए सचेत (Conscious) हो और हर व्यक्ति में अपने धर्म अपने देश की संस्कृति और देश की एकता को सुरक्षित रखने की इच्छा हो ।

Home››Social Issues››Corruption››